भोपाल: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर रिकॉर्ड 76.22 फीसदी वोटिंग हुई है। ये आंकड़ा पिछले चुनाव ( 2018 के विधानसभा) से ज्यादा है। 2018 के चुनाव में 75.63% वोटिंग हुई थी। सबसे कम 60.10% वोट आलीराजपुर जिले में पड़े। वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 70 सीटों पर 75.08% वोटिंग हुई है।
पिछले चार चावन की वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो पिछले चुनाव की तुलना में इसका अंतर जितना कम हुआ है सत्ताधारी दल को उतना सीटों का नुकसान होता है। दरअसल इसके पीछे जानकारों का मानना यह है कि प्रदेश में मौजूदा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल है। इस वजह से वोटिंग कम होती है। लेकिन पिछले और वर्तमान चुनाव के मतदान प्रतिशत को देखकर लगता है कि प्रदेश में सत्ता दल और विपक्ष में कांटे का मुकाबला है।
हाई प्रोफाइल सीट दिमनी
मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट दिमनी में 15 साल बाद मतदान घटा है। यहां से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे थे। पिछले दिनों उनके बेटे का लेनदेन का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसके बाद से वह लगातार मीडिया की सुर्खियों में थे। तीन से पांच प्रतिशत तक बड़ा है लेकिन इस बार 4% वोट कम पड़े पिछले चार चावन के नतीजे में यहां दो बार भाजपा और एक-एक बार बसपा और कांग्रेस जीती है।
इंदौर विधानसभा-1
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वहीं दूसरी हाई प्रोफाइल सीट इंदौर की विधानसभा एक में पिछले चुनाव की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ा है। यहां से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गी भाजपा की उम्मीदवार है। पिछले चुनाव की तुलना में 2.84% वोटिंग बढ़ी है 2018 के विधानसभा चुनाव में जहां 59.26 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जो 13 के मुकाबले 5% ज्यादा थी इसका फायदा कांग्रेस को मिला था इससे पहले तीन चुनाव (2003 2008 2013) में वोटिंग का प्रतिशत कम ज्यादा होता रहा है। यही वजह है की सीट पर तीन बार भाजपा और एक बार कांग्रेस जीती है।
जबलपुर पश्चिम में 5.04 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग
जबलपुर पश्चिम सीट पर 10 साल बाद 5% से ज्यादा वोटिंग हुई है। यहां 2013 में 65.45% मतदान हुआ था जो 2008 के मुकाबले 6.67 फीसदी ज्यादा था। इस बार 2018 ( 66.62%) की तुलना में 5.04 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग हुई। इस सीट पर पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत का दो बार से कब्जा है। जबकि इससे पहले दो बार भाजपा के हरेंद्रजीत सिंह बब्बू जीते थे। इस बार भनोत का मुकाबला भाजपा सांसद राकेश सिंह से है।
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पेशाब कांड वाली सीट सीधी विधानसभा
प्रदेस का बहुचर्चित पेशाब कांड को लेकर सीधी विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में 1 प्रतिशत बढ़ा है। भाजपा ने यहां तीन बार के विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकिट काट कर सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारा है। हालांकि, शुक्ला बागी होकर मैदान में हैं। इस सीट पर कांग्रेस को 2003 में जीत मिली थी। इसके बाद से सीट पर भाजपा ही काबिज है।
नरसिंहपुर विधानसभा सीट
हाई प्रोफाइल नरसिंहपुर सीट पर पिछले तीन चुनाव को देखा जाए तो यहां मतदान में 2% का इजाफा हुआ है। इस बार 0.44% की मामूली बढ़त है। 2008 में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इसके बाद सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। इस बार भाजपा ने विधायक जालम सिंह का टिकट काट कर उनके बड़े भाई केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को मैदान में उतारा है।
सतना विधानसभा
एमपी के सतना में 2018 के मुकाबले इस बार मतदान 1.29 प्रतिशत बढ़ा है। ये पिछले चार चुनाव में सबसे कम बढ़ोतरी है, जबकि 2013 की तुलना में 2018 में वोट का प्रतिशत 7% से अधिक बढ़ा था। तब इस सीट पर कांग्रेस जीती थी। जबकि इससे पहले तीन बार भाजपा का कब्जा रहा। इस बार भाजपा ने सांसद गणेश सिंह को मैदान में उतारा है।