आनंद अकेला
सीधी। पूरे विश्व को सफेद बाघ देने वाला विंध्य क्षेत्र एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। विंध्य की पावन धरा के दुबरी टाइगर रिजर्व सीधी के कुसमी परिक्षेत्र के कंजरा के जंगलों में सफेद चीतल का शावक चर्चा का विषय बना हुआ है।
सीधी जिले स्थित पनखोरा नाला को सफेद बाघ मोहन की जन्मस्थली के नाम से जाना जाता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र को मोहन परिक्षेत्र के नाम दिया गया है। इसी सीमा से लगे कुसमी रेंज के कंजरा क्षेत्र के जंगलों में एक सफेद चीतल का शावक रविवार को देखा गया। सफेद रंग का यह शावक चीतल के समूह के साथ था, जिसे मशहूर पर्यावरणविद सुभाष सिंह ने पर्यटक दल के चार अतिविशिष्ट मेहमान के साथ रविवार की दोपहर में देखा।
पर्यावरणविद सुभाष सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में चीतलों की संख्या काफी ज्यादा है सफ़ेद रंग के चीतल देखे जाने की यह पहली घटना है। इससे पहले राजस्थान के रणथम्भौर के जंगल में सफेद चीतल देखे गए थे। उन्होंने बताया कि यह रंग उन्हें अनुवांशिक रूप से मिलता है। कई हजारों में ऐसा एक चीतल होता है। उन्होंने बताया कि सफेद रंग के इस शावक चीतल की उम्र चार से पांच माह की है।अतः इसे अन्य जंगली जानवरों से संरक्षित करने की आवश्यकता है। पर्यावरणविद सुभाष सिंह के अनुसार सफेद चीतल को संरक्षित करने से वनअभ्यारण में पर्यटन को काफी गति मिलेगी। साथ ही देश विदेश में विंध्य का नाम भी रोशन होगा।
दुबरी टाइगर रिजर्व कुसमी परिक्षेत्र के रेंजर वीरभद्र सिंह परिहार ने बताया कि मध्यप्रदेश में चीतल बहुतायत संख्या में हैं। जिसके कारण यहां पर्यटकों की आवक ज्यादा रहती है। कंजरा के जंगलों में सफेद चीतल के देखे जाने की घटना को लेकर विभाग गम्भीर है। उसके प्राकृतिक संरक्षण के लिए पूरे प्रयास किये जायेंगे।