नई दिल्ली l मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी अब तक ना जाने कितने ही लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है। लेकिन मलेरिया के इस रोग पर अब वैक्सीन का हंटर चलने के लिए पूरी तरह तैयार है। आपको बता दें कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया की वैक्सीन को मान्यता दे दी है। जिसके बाद मलेरिया रोग के कारण मरने वाले लोगों की संख्या को बढ़ने से रोका जा सकेगा। मलेरिया की इस वैक्सीन का नाम Mosquirix है। आपको बता दें कि Mosquirix प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम पैरासाइट्स और हेपेटाइटिस बी वायरस की सतह पर मौजूद प्रोटीन के जरिए ही बना है।
ऐसे में जब भी किसी व्यक्ति को यह वैक्सीन दी जाएगी, तो उसके शरीर में यह प्रवेश कर मलेरिया के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार कर लेगी। ऐसे में अगर कभी भी कोई मलेरिया से पीड़ित होगा तो एंटीबॉडी तुरंत सक्रिय हो जाएगी और मलेरिया से लड़ने में इम्यून सिस्टम की सहायता करेंगी। इसके अलावा बताया जा रहा है कि यह वैक्सीन हेपेटाइटिस बी से भी बचाने का काम कर सकता है। आइए जानते हैं इस वैक्सीन से जुड़ी कुछ अन्य बातें।
मलेरिया केसे फैलता है?
‘प्लाज्मोडियम’ नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया। यह मादा ‘एनोफिलीज’ मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। मलेरिया के मच्छर रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ केसेज में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा ना होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर पेशंट को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे वह अनीमिक हो जाता है।
कितनी प्रभावी है यह वैक्सीन
Mosquirix पहली ऐसी लाइसेंस वैक्सीन है जिसका उपयोग किसी भी तरह के परजीवी के कारण होने वाले रोगों पर किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कहा गया है कि सबसे पहले इस वैक्सीन का ट्रायल अक्टूबर 2015 में अफ्रीका में किया गया था। वहीं इसके बाद पहला विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाव के बाद 2019 में इसका पहला प्रोजेक्ट मलयाली, घाना और केन्या में किया गया था। Mosquirix को मान्यता प्राप्त होने के बाद इसे एक ऐतिहासिक पल की नजर से भी देखा जा रहा है।
इसी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर टेडर अधेनम घेरेसस ने कहा है कि मलेरिया के लिए बनाई जा रही वैक्सीन का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था और यह विज्ञान के लिए एक ब्रेकथ्रू है। उनका कहना है कि इस वैक्सीन के जरिए हर साल 10 हजार युवा लोगों को मलेरिया के प्रकोप से बचाया जा सकेगा। WHO का कहना है कि यह वैक्सीन मलेरिया के लक्षणों पर 30 प्रतिशत तक प्रभावी सिद्ध होगी और यह बच्चों पर भी सुरक्षित है।
क्या यह मलेरिया की पहली वैक्सीन है?
सन 1960 से लेकर अब तक बहुत सी कंपनियां मलेरिया की वैक्सीन पर टेस्टिंग की जा चुकी हैं। वही 1980 में GlaxoSmithKline द्वारा Mosquirix वैक्सीन बनाई गई थी। जिसे जुलाई 2015 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने मान्यता दी थी। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है।
कैसे-कहां और किसे दी जाएगी वैक्सीन?
यह वैक्सीन केवल डॉक्टर की राय के बाद ही दी जाएगी। इस वैक्सीन का 0.5 एमएल डोज कंधे या जांघ पर इंजेक्शन के जरिए दिया जाएगा। यह 6 महीने से लेकर 17 महीने के बच्चों तक दिया जाएगा। इस वैक्सीन के कुल चार डोज दिए जाएंगे। वैक्सीन के शुरुआती तीन डोज एक महीने के गैप में दिए जाएंगे। वहीं इसका लास्ट डोज प्रिस्क्राइब करने के और तीसरे डोज के 18 महीने बाद दिया जाएगा।
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