नई दिल्ली: NEET और यूजीसी नेट पेपर लीक मामले में जारी घमासान के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा मंत्रालय ने एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए एक हाई लेवल कमिटी का गठन किया है। इस कमिटी का अध्यक्ष इसरो प्रमुख चेयरमैन के. राधाकृष्णन को बनाया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस कमिटी का उद्देश्य एनटीए द्वारा आयोजित परीक्षाओं के पारदर्शी और कदाचार मुक्त आयोजन के लिए सुझाव देना है।आखिर कमिटी के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन कौन हैं, जो पेपर लीक के मुद्दे को सुलझाएंगे? आइए बताते हैं।
कौन हैं डॉ. के राधाकृष्णन?
डॉ. के राधाकृष्णन देश के जाने माने वैज्ञानिक हैं। वो भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनका जन्म 29 अगस्त 1949 को केरल में हुआ था। डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी शिक्षा इंजीनियरिंग कॉलेज, त्रिवेंद्रम से बीएससी इंजीनियरिंग में पूरी की और बाद में आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी और आईआईएम बैंगलोर से पीजीडीएम की डिग्री प्राप्त की।
पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचाया
डॉ. राधाकृष्णन ने 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) से अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर भी रहे हैं। डॉ. राधाकृष्णन के मार्गदर्शन में इसरो ने मंगलयान मिशन को प्रथम प्रयास में ही मंगल तक पहुंचाने का करिश्मा कर दिखाया, जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो का अध्यक्ष पद संभाला। इसरो प्रमुख के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन को तैयार करना था।
इसरो के कई मिशन का किया नेतृत्व
डॉ. राधाकृष्णन 2009 से 2014 तक इसरो के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में, भारत ने चंद्रयान-1 मिशन, मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर मिशन) और जीसैट श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें सैटेलाइट संचार, रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष विज्ञान शामिल हैं। उन्हें 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व और वैज्ञानिक योगदान के लिए उन्हें कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।