नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों से एचआईवी की बीमारी लाइलाज नहीं रही. अब एचआईवी के कारण शायद ही कोई मरता है. दुनिया भर में एचआईवी के साथ जीने के लिए कई तरह की प्रभावकारी दवाइयां है जिससे एचआईवी को ठीक किया जाता है. यही कारण है कि 1995 के बाद एचआईवी से मरने वालों की संख्या में बहुत ज्यादा कमी आई है.
हालांकि सच्चाई यह है कि एचआईवी और एचआईवी के कारण होने वाली बीमारी एड्स का अब तक खात्मा नहीं हुआ है लेकिन डब्ल्यूएचओ ने ऐसी योजना बनाई है जिसमें दावा किया जा रहा है कि 2030 तक एड्स को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा. लाइवसाइंस को एचआईवी/एड्स पर यूनाइटेड नेशन प्रोग्राम की डायरेक्टर कुरैशिया अब्दुल करीम ने बताया कि हमारे पास अब ऐसे टूल हैं जिनकी मदद से हम एड्स को खत्म कर सकते हैं.
एचआईवी के कई प्रभावशाली इलाज
एड्स रिसर्च पर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की डायरेक्टर डॉ. मोनिका गांधी बताती हैं कि 1996 से एचआईवी/एड्स को काबू करने के लिए हमारे पास कई तरह के पावरफुल इलाज है. ऐसे में अब यदि हम एचआईवी वायरस को हेल्दी लोगों में जाने से रोक सकें तो हम बहुत जल्दी एचआईवी को खत्म कर सकते हैं. इसके लिए संबंध बनाने के दौरान एचआईवी पॉजिटीव व्यक्तियों से एचआईवी निगेटिव व्यक्ति में वायरस को जाने से रोकना होगा. यानी इंफेक्टेट लोगों से वायरस को अन्य लोगों में जाने से रोकना इस बीमारी को खत्म करने का सबसे बेहतर तरीका है. उन्होंने कहा कि इस वायरस का अंत हो सकता है, इसके लिए शिशुओं और टीनएजर्स में एचआईवी को जाने से रोकना होगा.
95-95-95 का फॉर्मूला
वर्तमान में एचआईवी की दवा है. यहां तक कि अगर किसी व्यक्ति में एचआईवी का जोखिम भी है तो उसे पहले से दवा दे दी जाती है जिससे उस इंसान में एचआईवी नहीं होता है. इससे पहले वैज्ञानिकों में इस बात की सहमति थी कि 2014 तक एचआईवी को खत्म कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवजात शिशुओं और टीनएज बच्चों पर फोकस करने का फैसला किया है. डब्ल्यूएचओ ने नए एचआईवी से होने वाले एड्स को खत्म करने के लिए 95-95-95 का फॉर्मूला बनाया है.
यानी 95 प्रतिशत लोगों में यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें एचआईवी है या नहीं. इसके बाद जिन लोगों को एचआईवी है, उनमें से 95 प्रतिशत लोगों को हर हाल में इसकी दवा उपलब्ध कराना है और उसे कंट्रोल करना है. इसके बाद जिन लोगों की दवा चल रही है उनमें से 95 प्रतिशत इंफेक्टेट लोगों तक ही वायरस को सीमित कर देना है. यानी इन लोगों से किसी भी हाल में दूसरे में एचआईवी न फैले, इसकी व्यवस्था करनी है. अगर एचआईवी को इस तरह काबू कर लिया जाए तो एड्स को 2030 तक रोका जा सकता है.