आनंद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसूत्र की अधिसूचना जारी होने के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर हलचल शुरू हो गई है। इस पद के लिए फिलहाल पार्टी के तीन वरिष्ठ विधायक डाक्टर सीताशरण शर्मा और गोपाल भार्गव और केदारनाथ शुक्ला के नामों की चर्चा शुरू हो गई है। इनमें से संघ की पसंद गोपाल भार्गव और केदारनाथ शुक्ला है। पार्टी सूत्रों की माने तो विधानसभा अध्यक्ष के नाम का फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ दिनों में संगठन नेताओं के साथ बैठक कर लेंगे। फिलहाल अभी प्रोटेम स्पीकर के रूप में जगदीश देवड़ा काम कर रहे हैं। अब मानसून सत्र के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। ऐसे में उसके पहले नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। इस पद के लिए संगठन के कुछ नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का नाम आगे कर रहे है। हालांकि भार्गव इसके लिए तैयार नहीं बताए जा रहे हैं। संघ की दूसरी पसंद इस पद के लिए सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला है। पर वो विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए तैयार है या नहीं यह कह पाना मुश्किल है। अगर ये दोनों ही चेहरे विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए मना कर देते हैं तो फिर इस पद पर डाक्टर सीताशरण शर्मा की ताजपोशी तय मानी जा रही है। डाक्टर शर्मा पूर्व में भी शिवराज सिंह चौहान की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके साथ ही उपाध्यक्ष पद जगदीश देवड़ा को मिलना तय माना जा रहा है। हालांकि देवड़ा भी उपाध्यक्ष की जगह मंत्री बनना चाहते हैं। संगठन सूत्रों की माने तो जल्द ही सीएम और संगठन नेताओं के साथ होने वाली बैठक में इस मामले पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
मंत्रिमंडल विस्तार का भी इंतजार
राज्यसभा चुनाव निपटते ही मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर दावेदार एक बार सक्रिय हो गए हैं। हालांकि राज्यपाल के बीमार होने की वजह से इसमें समय लगना तय माना जा रहा है। कांग्रेस के बागी और सिंधिया समर्थक सहित भाजपा के कई विधायक बीते तीन माह से शपथ लेने का इंतजार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और भाजपा संगठन को पहले कोरोना संकट और फिर राज्यसभा चुनाव के चलते विस्तार टालना पड़ा। अब माना जा रहा है कि राज्यपाल के ठीक होते ही मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया जाएगा। इसके साथ ही भाजपा प्रदेश इकाई की नई टीम भी घोषित कर दी जाएगी। जिसमें मंत्री नहीं बनाए जाने वाले विधायकों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा उन विधानसभा क्षेत्र के नेताओं को भी सरकार सत्ता में भागीदारी देने का काम करेगी, जहां पर उपचुनाव होने हैं। इन्हें निगम मंडलों में जिम्मेदारी देकर उनकी नाराजगी दूर की जाएगी।