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छत्तीसगढ़ में अगली सरकार किसकी बनेगी? ये 5 मुद्दे तय करेंगे

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
04/11/23
in राज्य
छत्तीसगढ़ में अगली सरकार किसकी बनेगी? ये 5 मुद्दे तय करेंगे
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपनी भूपेश बघेल सरकार की ओर से पिछले पांच वर्षों में चलाई गई कल्याणकारी योजनाओं के दम पर सत्ता में वापसी की गारंटी मानकर चल रही है। लेकिन, 15 वर्षों तक प्रदेश में शासन कर चुकी भारतीय जनता पार्टी ने भी इस चुनाव को जीतने के लिए अपने सारे सियासी घोड़े छोड़ दिए हैं।

कांग्रेस जहां इस बार भी लोक-लुभावन वादों और नारों के दम चुनाव मैदान में पार्टी का डंका बजाने में जुटी हुई है, वहीं बीजेपी के घोषणापत्र में भी मतदाताओं को लुभाने के लिए कम तोते नहीं छोड़े गए हैं।

1) आदिवासी

छत्तीसगढ़ में लगभग एक-तिहाई सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2018 में राज्य की कुल 90 सीटों में से आदिवासियों के लिए आरक्षित 29 सीटों में कांग्रेस अकेले 25 सीटें जीती थी। यही नहीं, दंतेवाड़ा उपचुनाव में वह बीजेपी के 3 में से भी 1 सीट झटक ली थी।

यानि कांग्रेस ने पिछली बार राज्य में 68 सीटें जीती थी तो उसमें आदिवासी बहुल इलाकों में उसके शानदार प्रदर्शन का बहुत बड़ा रोल रहा था। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 32% है। भूपेश सरकार के आदिवासी कल्याण कार्यक्रमों के दम पर कांग्रेस को इस बार यहां और भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

भाजपा को भी इस क्षेत्र में कांग्रेस की ताकत का अंदाजा है। इसीलिए पार्टी ने घोषणापत्र जारी करने के दौरान इनकी समस्याओं पर खास तौर पर गौर किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि राज्य को नक्सलवाद से बाहर लाने का काम भाजपा ने किया है। उन्होंने बताया कि जिस नक्सली इलाके में कॉलेज बनाना भी मुश्किल था, वहां शिक्षा के नए मानक स्थापित करने में पार्टी की भूमिका रही है।

पार्टी ने तेंदुपत्ता जमा करने वालों को 5500 रुपए प्रति मानक बोरा और 4500 रुपए अतिरिक्त बोनस के तौर पर देने का वादा किया है। विवाहित महिलाओं को साल में 12,000 रुपए देने का भी वादा किया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है, ‘जब आप लोग वोट देने के लिए जाएं, एक एमएलए या एक मंत्री को चुनने के लिए वोट न दें..आपके वोट से छत्तीसगढ़ का भविष्य बनता है…आपका वोट नक्सलवाद के खात्मे और आदिवासी क्षेत्र को विकसित क्षेत्र बनाने के लिए है…… ‘

2) किसान

छत्तीसगढ़ में करीब 38 लाख लोग कृषि कार्यों से जुड़े हैं और राज्य में चुनावी समीकरण बिठाने में इनकी प्रमुख भूमिका रही है। कांग्रेस ने पिछली बार लोन माफी और धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2100 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए का वादा करके सत्ता पर कब्जा किया था। कांग्रेस सरकार 23 लाख किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना अलग से चला रही है। किसान इतने बड़े लाभार्थी हैं कि इनके दम पर राज्य में कांग्रेस 75 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

बीजेपी के संकल्प पत्र में भी किसानों के लिए बहुत बड़ा वादा किया गया है। पार्टी ने कृषि उन्नति योजना शुरू करने का संकल्प जताया है। इसके तहत प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपए क्विंटल के हिसाब से खरीदने का भरोसा दिया गया है। यही नहीं किसानों को एकसाथ भुगतान का भी ऐलान किया गया है। यही नहीं धान खरीद से पहले बारदान देने की भी बात कही गई है।

ऊपर से बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार छोटे-मंझोले किसानों को साल में 6 हजार रुपए प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि के तहत भी दे रही है।

3) हिंदुत्व

कांग्रेस को बीजेपी के हिंदुत्व को लेकर छत्तीसगढ़ में बड़ी चिंता रही है। इसीलिए यहां बघेल सरकार ने सॉफ्ट हिंदुत्व को अपना आधार बना रखा है। इसने भगवान श्रीराम की माता कौशल्या के नाम पर बने एकमात्र प्राचीन मंदिर के पुनर्निमाण का काम शुरू कराया है। उन्होंने बीजेपी के जय श्रीराम के टक्कर में छत्तीसगढ़ को भगवान राम के ननिहाल के रूप में स्थापित करने की कोशिश की है। इसके अलावा उन्होंने राम वन गमन पथ जैसी योजना को बढ़ावा देने की भी पहल की है। अगर पूरे भारत की तुलना में देखें तो हिंदुत्व को लेकर यहां कांग्रेस का हृदय परिवर्तित नजर आता है।

भाजपा का हिंदुत्व के मोर्चे पर अपनी एक पहचान स्थापित है। फिर भी घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ में रामलला दर्शन योजना की घोषणा की है। यहां स्थित शक्ति पीठ को भी उत्तराखंड की तर्ज पर विकसित करने का वादा किया है। साथ ही चरण पादुका योजना फिर से लॉन्च करने की बात कही गई है। इन सबसे ऊपर अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर इस मोर्चे पर उसके पास एक बहुत बड़ा चुनावी हथियार पहले से ही मौजूद है।

4) भ्रष्टाचार

भाजपा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर चल रही है। बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर कथित भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और घोटालों का आरोप लगाते हुए 104 पन्नों का चार्जशीट जारी किया है। गृहमंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री पर ‘प्री-पेड सीएम’ कहकर निशाना साध रहे हैं और राज्य को ‘कांग्रेस का एटीएम’ कह रहे हैं।

गुरुवार को प्रदेश में एक रैली के दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘यह मोदी की गारंटी है। जिसने भी (राज्य को) लूटा है, वह बच नहीं पाएगा। भ्रष्टाचार से लड़ने की यह जिम्मेदारी आपने मुझे दी है।’ पार्टी ने भर्ती घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है।

5) विकास और कल्याणकारी योजनाएं

पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस ने राज्य में किसान कल्याण और अन्य समाज कल्याण के कार्यों पर ज्यादा खर्च किया है। इसकी वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास एक चुनौती बनकर उभरा है। खासकर शहरी इलाकों में विकास एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

वहीं, बीजेपी ने एनसीआर की तर्ज पर रायपुर, नया रायपुर और भिलाई को जोड़ने का वादा किया है। इसने रायपुर को इनोवेशन हब बनाकर 6 लाख से ज्यादा रोजगार इस फ्रंट पर देने की बात कही है। हर लोकसभा क्षेत्र में एम्स की तर्ज पर CIMS बनाने की बात कही है। फिर से छत्तीसगढ़ इंवेस्ट समिट शुरू करने का वादा किया है।

इसी तरह पार्टी ने महतारी वंदन योजना की शुरुआत, 2 साल में खाली पदों पर 1 लाख भर्तियां, पीएम आवास योजना के तहत 18 लाख घर बनाने का भी भरोसा दिया है। नए उद्योग स्थापित करने के लिए 50% सब्सिडी देने की बात कही है। इनके अलावा कुछ लोक-लुभावन वादे बीजेपी की ओर से भी किए गए हैं।

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