सौरभ शर्मा | कर्नाटक, आज मतदान और उसके बाद 13 मई को नतीजे. अगले 72 घंटों में फैसला हो जाएगा कि भाजपा दोबारा से अपनी सरकार बनाने वाली है या फिर कांग्रेस सत्ता में लौटेगी. वैसे इस चुनाव में जहां बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के आखिरी हफ्ते में सबकुछ झोंका, वहीं कांग्रेस के अलावा गांधी परिवार के लिए भी सबकुछ दांव लगा है. मतदान के बीच कर्नाटक पर चर्चा राजनीति से इतर इकोनॉमिक लेवल करें तो समझ आएगा कि दक्षिण भारत की यह जमीन कांग्रेस खासकर राहुल गांधी के लिए क्यों अहम है? वहीं बीजेपी में भी पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए क्यों जरूरी हो गई है?
ये वो ही कर्नाटक है, जिसे एपल अपना मैन्युफैक्चरिंग हब मान रहा है और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए 300 एकड़ जमीन खरीद ली है. जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलेगी. यह तो महज एक शुरुआत है. कर्नाटक ही महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा जीएसटी रेवेन्यू जेनरेट करता है और वो कर्नाटक ही है, जहां एक आईटी इंजीनियर अपने सपनों की उड़ान भरता है. ऐसे में कर्नाटक देश की इकोनॉमी के लिए और भी अहम हो जाता है. आइए कर्नाटक के इकोनॉमिक पन्नों को पलटकर देखते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर कर्नाटक पॉलिटिकल पार्टियों के लिए ही नहीं बल्कि देश की इकोनॉमी के लिए इतना जरूरी क्यों हो चला है?
देश की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है कर्नाटक
दक्षिण भारत के एंट्री गेट कर्नाटक का यूं ही आकलन मत करिये. इसकी पहचान देश की सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में भी है. इसका देश की जीडीपी में 8 फीसदी से ज्यादा का योगदान है. प्रदेश की जीडीपी में पांच सालों में 68 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है जो मौजूदा समय में 22 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है. जो अगले एक वर्ष में 23.34 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. कर्नाटक से आगे सिर्फ पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और महाराष्ट्र ही हैं.
देश के औसत से ज्यादा है कर्नाटक के लोगों की कमाई
कर्नाटक के लोगों की सालाना कमाई देश के अन्य प्रदेशों में रहने वाले या यूं कि देश के औसत के मुकाबले ज्यादा है. आंकड़ों यह अंतर डबल से थोड़ा कम ही है. पांच सालों में यह इजाफा 62 फीसदी देखने को मिला और 3 लाख रुपये से ज्यादा हो गया. अगले एक साल में यह आंकड़ा 3.32 लाख रुपये पहुंचने का अनुमान है. जबकि जबकि देश की औसत पर कैपिटा इनकम 1.70 लाख रुपये से कुछ ही ज्यादा है, जिसमें बीते पांच सालों में 48 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.
महंगाई के मामले में देश से बेहतर है आंकड़ें
महंगाई के मोर्चे पर बात करें तो कनार्टक का प्रदर्शन देश से बेहतर देखने को मिला है. मार्च के महीने में कर्नाटक में कोर इंफ्लेशन 5.58 फीसदी थी, जबकि देश का रिटेल इंफ्लेशन 5.66 फीसदी देखने को मिला था. ताज्जुब की बात तो ये है कि वित्त वर्ष 2022—23 में कर्नाटक में मिनिमम रिटेल इंफ्लेशन 4.19 फीसदी और मैकसीमम 6.39 फीसदी था, जोकि नेशनल एवरेज से कम है.
कर्नाटक में एमएसएमई की भरमार
एमएमएमई देश की जीडीपी जिसका एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का योगदान है और देश में 30 फीसदी नौकरियां एमएसएमई देता है तो कर्नाटक का रोल देश की इकोनॉमी में और भी बढ़ जाता है. प्रदेश में साढ़े 8 लाख से ज्यादा एमएसएमई हैं, जो 50 लाख से ज्यादा लोगों नौकरी देता है. स्टेट ने 5 सालों में 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का इंवेस्टमेंट किया है.
इसलिए भारत का सिलिकॉन वैली है कर्नाटक
कर्नाटक और उसके बेंगलूरु शहर को यूं ही भारत का सिलिकॉन वैली कहा जाता है. यहां का आई सेक्टर करीब दो लाख लोगों को डायरेक्ट नौकरी देता है और 40 लाख इनडायरेक्ट रोजगार पैदा करता है. ये आईटी सेक्टर ही है जिसका स्टेट इकोनॉमी में कंट्रीब्यूशन 20 फीसदी से ज्यादा है. शहर में माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और ओरेकल कंपनियों की भरमार है और एपल आने वाला है. ये कंपनियां करीब 5 लाख लोगों को नौकरियां देती है.