देहरादून। उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की भांति इन दिनों उत्तराखंड में भी कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। सर्दी के बीच पहाड़ में सुलगते जंगलों ने चिंता बढ़ा दी है। भारतीय वन सर्वेक्षण से विभाग को प्रतिदिन 10 से 12 फायर अलर्ट मिल रहे हैं।
इनमें से अब तक कई अलर्ट उत्तरकाशी के टौंस वन प्रभाग समेत अन्य जिलों के जंगलों में आग की घटनाओं के थे। यद्यपि, विभागीय टीमें आग पर नियंत्रण पा ले रही हैं, लेकिन यह प्रश्न भी अपनी जगह कायम है कि सर्दियों में भी जंगल क्यों धधक रहे हैं।
इसके पीछे असल कारण क्या हैं। इस सबको देखते हुए विभाग ने अब वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन कराने का इरादा जताया है। इसी कड़ी में उन सभी वन प्रभागों से ब्योरा मांगा गया है, जहां आग लगने की घटनाएं हुई हैं। प्रभागों से आग लगने के कारणों की जानकारी भी मांगी गई है।
हाल के दिनों में हो चुकी कई आग की घटनाएं
कड़ाके की सर्दी और वातावरण में नमी के बावजूद पर्वतीय जिलों में वनों के धधकने से विभागीय अधिकारियों की पेशानी पर बल पड़ना स्वाभाविक है। उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चमोली, पिथौरागढ़ जिलों के जंगलों में हाल के दिनों में आग की घटनाएं हो चुकी हैं।
और तो और उच्च हिमालयी क्षेत्र के नजदीकी गोविंद वन्यजीव विहार, केदारनाथ वन प्रभाग में भी आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में चिंता बढ़ गई है। वह इस बात की कि जंगलों के धधकने का अभी से यह हाल है तो 15 फरवरी से आधिकारिक तौर पर अग्निकाल प्रारंभ होने पर स्थिति क्या होगी।
मुख्य वन संरक्षक एवं राज्य में नोडल अधिकारी (वनाग्नि) निशांत वर्मा भी वर्तमान में जंगलों में आग की घटनाओं पर चिंता जताते हैं। यद्यपि, उनका कहना है कि भारतीय वन सर्वेक्षण से प्रतिदिन मिलने वाले सभी 10 से 12 फायर अलर्ट जंगलों की आग के नहीं हैं।
खेतों में आड़ा फुकान के कारण भी अलर्ट
कुछ जगह जंगलों के नजदीक खेतों में आड़ा फुकान (खरपतवार जलाना) के कारण भी अलर्ट दिख रहे हैं। कुछ जगह विभाग की ओर कंट्रोल बर्निंग की जा रही है, ताकि जंगलों में गिरी सूखी पत्तियों को नियंत्रित तरीके से जलाया जाए और तापमान बढ़ने पर ये आग के फैलाव का कारण न बनें। कुछेक जगह सिविल क्षेत्र में घास के लिए आग लगाने की घटनाएं भी आई हैं।
वर्मा ने माना कि उत्तरकाशी जिले के टौंस, बड़कोट समेत अन्य जिलों के कुछेक क्षेत्रों में जंगलों में आग की घटनाएं हुई हैं। सर्दियों में आग की घटनाएं क्यों हो रही हैं, इस बारे में संबंधित प्रभागों से इसके कारण और एक्शन टेकन रिपोर्ट का ब्योरा भी मांगा गया है। उन्होंने कहा कि सर्दियों में वनों में आग के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन भी कराया जाएगा, ताकि सही स्थिति सामने आ सके। फिर इसके आधार पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।