नई दिल्ली: इस्लाम धर्म मूर्ति पूजा की इजाजत नहीं देता. लेकिन क्या इस्लाम धर्म राष्ट्र नायकों के सम्मान की भी इजाजत नहीं देता. पिछले दिनों दिल्ली के ईदगाह मैदान में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने का विवाद हुआ था. वो विवाद दिल्ली हाईकोर्ट में भी पहुंच गया. आज हाईकोर्ट ने मूर्ति लगाने का विरोध करने वालों से सवाल पूछा कि रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति से नमाज पढ़ने में क्या दिक्कत है. रानी लक्ष्मीबाई कोई धार्मिक शख्सियत नहीं है वो तो राष्ट्रीय शख्सियत है.
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई से ऐतराज क्यों?
आज़ादी की पहली लड़ाई में अंग्रेजों से टक्कर लेने वाली रानी लक्ष्मीबाई देश की महान स्वतंत्रता सेनानी थीं. लेकिन पिछली दिनों दिल्ली के सदर बाजार के कुछ मुट्ठी भर लोगों ने देश के प्रति उनके समर्पण का अपमान करने की कोशिश की. चंद लोगों ने उत्तरी दिल्ली के ईदगाह के मैदान में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने का विरोध किया और ना सिर्फ विरोध किया बल्कि उस इलाके में अशांति फैलाने की कोशिश की.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ऐसे लोगों को आईना दिखाया है. हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति से नमाज पढ़ने में क्या दिक्कत आ रही है? रानी लक्ष्मीबाई कोई धार्मिक हस्ती नहीं है. वह राष्ट्रीय नायिका हैं. हम 1857 की लड़ाई को नहीं भूल सकते.
अदालत ने ईदगाह मस्जिद कमेटी को रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी याद दिलाई. कोर्ट का आदेश इस ओर इशारा कर रहा था कि मुस्लिम समाज के लोगों को नमाज लक्ष्मीबाई की मूर्ति के सामने नहीं पढ़नी बल्कि नमाज..लक्ष्मीबाई की मूर्ति के बीच से पढ़ना है.
हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी लेकिन ईदगाह के सामने DDA की जमीन पर मूर्ति लगाने के लिए काम जारी है. जिस जमीन को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की गई थी. वहां पर नगर निगम की निगरानी में काम तेजी से चल रहा है.
वक्फ बोर्ड ने DDA के पार्क पर ठोका था दावा
दरअसल उत्तरी दिल्ली के सदर बाजार में DDA के पार्क पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा पेश किया था. केस में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने पार्क को डीडीए की संपत्ति कहा था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 26 सितंबर को मुस्लिमों की भीड़ रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने का काम रुकवाने के लिए पहुंच गई. 100 से ज्यादा महिलाओं ने धरना भी दिया था.
अब 4 अक्टूबर को कोर्ट में होगी सुनवाई
इलाके में तनाव को देखते हुए 27 सितंबर को मूर्ति का काम रोक दिया गया था. लेकिन अगले ही मूर्ति लगाने का काम फिर शुरू हो गया. उम्मीद है कि हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी राष्ट्रनायिका की मूर्ति का विरोध करने वालों के लिए सबक होगा. ईदगाह और DDA के जमीन मामले में अगली सुनवाई हाई कोर्ट में 4 अक्टूबर को होगी.