नई दिल्ली: भारत की दूसरे देशों से लगने वाली भौगोलिक सीमाएं देश की सुरक्षा के लिए हमेशा बड़ी चुनौती होती हैं. इन सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य तौर पर अर्धसैनिक बलों के कंधों पर होती है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि ये इन बलों को सीमा सुरक्षा के लिए ही ट्रेनिंग दी जाती है.
अर्धसैनिक बलों के कंधे पर होती है सुरक्षा की जिम्मेदारी
भारत की सीमाएं हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर रेगिस्तानी मैदानों तक तो कहीं हरे-भरे जंगलों तक फैली हुई हैं. ऐसे में इन सीमाओं की सुरक्षा का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) को दिया गया है. ये लोग 24 घंटे यहां तैनात रहते हैं.
आखिर क्यों सीमा पर केवल अर्धसैनिक बलों किए जाते हैं तैनात
कई लोगों के मन में ये सवाल भी आता है कि आखिर क्यों सीमा पर केवल अर्धसैनिक बलों को तैनाती किया जाता है. ऐसे में आपको बता दें कि ऐसा करने में लागत कम आती है.
अर्धसैनिक बलों को युद्ध की स्थिति में नहीं होना होता शामिल
आपको बता दें कि अर्धसैनिक बल को केवल सीमा सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित होते हैं. इनका उद्देश्य सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना है.
सेना का काम क्या होता है?
आपको बता दें कि सेना का पहला काम मुख्य रूप से होता है राष्ट्रीय सुरक्षा और युद्ध की स्थिति में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियानों को संचालित करना है.
किन-किन देशों में ऐसा होता है?
आपको बता दें कि ये प्रचलन केवल भारत में ही नहीं वैश्विक स्तर पर भी है. अमेरिका, चीन और रूस जैसे कई देश अपनी सीमाओं पर सेना नहीं बल्कि अर्धसैन्य बल ही तैनात रखते हैं.
कई देशों में सेना ही बॉर्डर की सुरक्षा करती है
आपको बता दें कि कुछ छोटे देशों में सीमा ज्यादा बड़ी होने के चलते सेना ही सीमा पर सुरक्षा का काम संभालती है. क्योंकि उनके पास अलग से अर्धसैनिक बल नहीं होते.
कम लागत के साथ की जाती है सीमा की सुरक्षा
आपको बता दें कि किसी भी देश में सेना की तैनाती और रखरखाव महंगा होता है. इसे सीमाओं पर अगर ज्यादा लंबे समय तक तैनात किया जाए तो रिसोर्सेज का ज्यादा इस्तेमाल करना होता है. अर्धसैनिक बलों को कम लागत में सीमा सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है. बता दें कि इस दौरान अर्धसैनिक बलों को हल्के हथियार दिए जाते हैं जिनकी लागत कम होती है.