पहले मोचा तो अब बिपारजॉय. मई-जून का महीना चक्रवात के लिए मुफीद माना जाता है. लेकिन दो महीने में बैक टू बैक दो चक्रवात चिंता बढ़ा रहे हैं. बिपारजॉय (Biparjoy) भारत में जमीन से टकराने को तैयार बैठा है. भारतीय मौसम विभाग की सालाना रिपोर्ट देखें तो साल 2022 में 15 चक्रवात का सामना हमें करना पड़ा है. इतिहास में एक साल में इतने ज्यादा तूफानों का सामना हमें कभी नहीं किया है.
IMD के मुताबिक साल 1965 से 2011 के बीच औसतन 11.2 चक्रवात हर साल आए. जबकि 2022 में इनमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो गई. तीन चक्रवात अरब सागर से उठे जबकि 10 बंगाल की खाड़ी से और 2 चक्रवात जमीन से उठे. 1950 से पहले और 1950 के बाद की तुलना करें तो देखेंगे कि बंगाल की खाड़ी में 49 फीसदी चक्रवात की बढ़ोतरी हो गई जबकि अरब सागर में 52 फीसदी चक्रवात बढ़ गए हैं. इसके पीछे का कारण? जवाब है-ग्लोबल वॉर्मिंग. समुद्र का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जो आने वाली ‘तबाही’ के संकेत हैं.
क्यों बन रहे हैं साइक्लोन
माना जाता है कि किसी चक्रवात को तैयार होने के लिए समुद्र का तापमान 28 डिग्री से ज्यादा होना चाहिए. इस तापमान के बाद गर्मी बढ़ती है और पानी भाप के जरिए इकट्ठा होते हुए चक्रवात का रूप ले लेता है. ग्लोबल वॉर्मिंग, अल-नीनो और हमारी कारगुजारियों की वजह से समुद्र का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है.
बढ़ गया समुद्र का तापमान
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी IPCC की रिपोर्ट के मुताबिक 1850-1900 से 2011-2020 के बीच 0.88 डिग्री बढ़ चुका है. जबकि 1980 के बाद से ही इसमें 0.6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो गई है. आशंका यह भी जताई जा रही है कि 2100 तक यह 2.89 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा. हिंद महासागर में यह तापमान और भी तेजी से बढ़ रहा है. समुद्र का तापमान बढ़ने की वजह से पानी भाप बन रहा है और चक्रवात का रूप ले रहा है.
चक्रवात का यह नया रूप खतरनाक
चक्रवात की संख्या तो बढ़ ही रही है, लेकिन एक और बात है जो टेंशन दे रही है. वो समुद्र के ऊपर वातावरण में इनकी धीमी स्पीड. विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लोबल ट्रांसलेशनल स्पीड 10 फीसदी कम हो गई है. साइक्लोन मोचा की वातावरण में स्पीड 14-15 किलोमीटर प्रति घंटे की रही जबकि 2019 में आए साइक्लोन डोरियान की गति 8 से 9 किलोमीटर प्रति घंटे की थी. इसके क्या खतरे हैं, हम आपको समझाते हैं.
कोई चक्रवात जितनी देर तक समुद्र के वातावरण में रहेगा, वो उतना ही ज्यादा शक्तिशाली बनता जाएगा. इसे ऐसे समझिए, समुद्री वातावरण में धीरे-धीरे घूमते हुए चक्रवात अपनी ताकत बढ़ाता रहता है. इसी का नतीजा होता है कि जब वह जमीन से टकराता है, तो तबाही मचा देता है. वह जितने समय समुद्र के वातावरण में रहेगा, उतना ही खतरनाक साबित होगा. मसलन मोचा के समय 270 किलोमीटर की स्पीड से हवा चल रही थी जबकि डोरियान की स्पीड करीब 300 किलोमीटर की थी.
नंबर ही नहीं इन्टेन्सिटी भी
एक और बात जो चिंता बढ़ाती है. सिर्फ चक्रवातों की बढ़ती संख्या ही नहीं उनके ज्यादा समय तक प्रभावशाली बने रहने से स्थिति खतरनाक बन रही हैं. अब तूफान लंबे समय तक तबाही मचाने की ताकत रखते हैं. जो चक्रवात पहले ताकतवर होने में कई दिन लगाते थे, वो एक ही दिन में शक्तिशाली हो जा रहे हैं. यही नहीं वे लंबे समय तक हवा में रहने के बावजूद भी कमजोर नहीं पड़ते और जमीन से टकराते ही उत्पात मचा देते हैं.