नई दिल्ली: भारत और चीन की सीमा पर भारतीय जवान मुस्तैदी से तैनात रहते हैं और अपने-अपने देश की सुरक्षा करते हैं. गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच कई बार सैन्य झड़प होती रही है. भारत और चीन की सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और भारतीय सेना सीमा की रक्षा करते हैं.
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद भारत ने हाल ही में सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत किया है. भारत और चीन की सीमा को LAC यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है. हाल ही में भारत ने इस सीमा पर अपने 10,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि चीन की सीमा पर तैनात जवान हथियार क्यों नहीं रखते हैं. क्या इसके पीछे कोई नियम है, चलिए जान लेते हैं.
भारत और चीन बॉर्डर पर क्यों नहीं करते हथियारों का इस्तेमाल
आज से करीब दो साल पहले भारत और चीन की सीमा का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दोनों ओर से सैनिक हाथापाई करते और लाठी-डंडे से लड़ते हुए नजर आ रहे थे. तब लोगों के मन में यह सवाल कौंधा था कि जब सीमा पर बैलिस्टिक मिसाइल, एयरक्राफ्ट जैसे घातक हथियार मौजूद हैं तो हमारी सेना गोला-बारूद और आधुनिक हथियार छोड़कर लाठी-डंडे के हमले क्यों कर रही है. हम चीनी सैनिकों पर उनसे वार क्यों नहीं करते हैं, लेकिनन बदले में चीन भी गोला-बारूद का इस्तेमाल नहीं करता है. आखिर क्यों?
भारत-चीन के बीच क्या हुआ समझौता
भारत-चीन सीमा पर लाठी-डंडे का इस्तेमाल करने के पीछे की वजह है. दरअसल दोनों देशों के बीच 29 नवंबर 1996 को एक समझौता हुआ था. इसका नाम है एग्रीमेंट बिटविन द गवर्नमेंट ऑफ रिपब्लिक और इंडिया एंड चाइना ऑन ‘कॉन्फिडेंस मीजर्स इन द मिलिट्री फील्ड एलॉन्ग द एलएसी इन इंडिया-चाइना बॉर्डर एरियाज’ यानि कि भारत और चीन के सीमा क्षेत्रों में विश्वास निर्माण के उपायों के लिए दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था.
इस समझौते में क्या है
आर्टिकल 6 के तहत इस समझौते में कहा गया है कि भारत और चीन दोनों पक्षों में कोई भी एलएसी के दो किलोमीटर के दायरे में गोली नहीं चलाएगा, न ही कोई खतरनाक केमिकल, न कोई बम विस्फोट और किसी अन्य हथियार का इस्तेमाल करेगा. हालांकि यह स्मॉल आर्म्स फायरिंग रेंज में सेना के अभ्यास के लिए लागू नहीं होता है, जो कि रूटीन फायरिंग है.
इस आर्टिकल का दूसरा प्वाइंट कहता है कि अगर विकास कार्यों के लिए ब्लास्ट करने की जरूरत पड़ती है जैसे कि सड़क बनाने के लिए पहाड़ों में विस्फोट किया जाता है तो सामने वाले देश को इसके बारे में बताया जाएगा. जिससे कि युद्ध या कोई गलतफहमी न फैले. इसलिए अगर एलएसी के दो किमी के अंदर ब्लास्ट करना होगा तो बॉर्डर पर्सनल मीटिंग या फिर डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए बताया जाना जरूरी है.