देहरादून l उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. चंपावत से पहली बार बीजेपी के विधायक बने कैलाश गहतोड़ी ने धामी के लिए ये सीट छोड़ दी है और अपना इस्तीफा स्पीकर ऋतु खंडूरी को सौंप दिया है. खटीमा सीट से चुनाव हारने के बाद सीएम बने पुष्कर धामी ने गहतोड़ी का अभार व्यक्त करते हुए कहा कि चंपावत से चुनाव लड़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी. हालांकि, कांग्रेस और बीजेपी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़ने की बात कर रहे थे. ऐसे में धामी ने चंपावत सीट से ही उपचुनाव का फैसला क्यों किया?
बता दें कि पुष्कर सिंह धामी के अगुवाई में बीजेपी विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी थी. पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत खटीमा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन कांग्रेस के भुवन कापड़ी से मात खा गए थे. धामी ने भले ही अपनी सीट गंवा दी थी, पर सत्ता बचाने में कामयाब रहे थे. यही वजह थी कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने धामी को चुनाव हारने के बाद भी सत्ता की कमान सौंपी. ऐसे में धामी को अपनी सीएम की कुर्सी बचाए रखने छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी जरूरी होगी.
धामी के लिए बीजेपी विधायक ने छोड़ी सीट
सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए बीजेपी विधायक कैलाश गहतोड़ी ने चंपावत सीट खाली हो गई है, जहां से उन्होंने उपचुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी है. चंपावत सीट से बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. विधानसभा चुनाव 2022 में चंपावत में बीजेपी के कैलाश गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खार्कवाल को 5304 वोटों से हराया था. कैलाश गहतोड़ी को 32547 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 27243 वोट मिले.
चंपावत विधानसभा सीट पुष्कर सिंह धामी के लिए काफी सुरक्षित मानी जा रही है. प्रदेश के गठन के बाद चंपावत सीट पर पांच बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से तीन बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. हालांकि, बीजेपी यहां से हर बार अपना कैंडिडेट बदलती रही है जबकि कांग्रेस से हेमेश खर्कवाल ही पांच बार से चुनाव लड़ रहे हैं.
तीन बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस जीती
उत्तराखंड गठन के बाद पहली बार 2002 में चंपावत सीट पर हेमेश खर्कवाल विधायक बने थे, दूसरे नंबर पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले मदन सिंह महाराणा थे और बीजेपी तीसरे नंबर पर रही. इसके बाद 2007 में बीजेपी के टिकट पर वीना महाराजा विधायक चुनी गई, लेकिन 2012 में कांग्रेस से हेमेश खर्कवाल दोबारा से विधायक बने. 20217 में कैलाश चंद्र गहतोरी बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए, लेकिन 2022 में पार्टी ने उनकी जगह कैलाश गहतोड़ी पर दांव लगाया तो जीत दर्ज करने में सफल रहे.
चंपावत सीट पुष्कर सिंह की परंपरागत खटीमा विधानसभा सीट से सटी हुई है. चंपावत विधानसभा सीट अल्मोड़ा के अंतर्गत आती है, जहां बीजेपी के अजय टम्टा सांसद है. चंपावत सीट का 40 फीसदी हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र में आता है और 60 फीसदी मैदानी क्षेत्र में है. धामी ने जोरशोर से तैयारी में जुट गए हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने चंपावत की गोरखनाथ मंदिर में गुरुवार को पूजा करके किया.
चंपावत के लिए धामी ने खोला पिटारा
चंपावत सीट पर बीजेपी भले ही तीन बार जीती हो, लेकिन पिछले दो चुनाव से लगातार कब्जा है. ऐसे में पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत सीट से उपचुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है. गुरुवार को चंपावत के मंच ग्राम पहुंचे सीएम पुष्कर धामी ने गुरु गोरखनाथ मंदिर के दर्शन किए. इसके बाद जनसभा को संबोधित करते हुए धामी ने चंपावत के लिए घोषणाओं की भी झड़ी लगा दी. चंपावत में एआरटीओ कार्यालय खोलने, बनबसा में मिनी स्टेडियम निर्माण, अमोड़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने और मंच उपतहसील में जल्द कार्य शुरू करने का एलान किया.
सीएम ने टनकपुर इंजीनियरिंग कॉलेज को आईआईटी बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजने और जिले को अखिल भारतीय स्तर पर पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाए जाने की घोषणा भी की. पूर्णागिरि और देवी दुर्गा मंदिर का विकास कार्य प्राथमिकता के आधार पर किए जाएंगे. चंपावत गोलू देवता घोड़ाखाल गोलू देवता और चितई गोलू देवता को मिलाकर एक विशेष गोलज्यू कारिडोर बनाया जाएगा. सीएम ने चाय बागान से हिंगला देवी मंदिर तक रोप-वे बनाने के लिए शीघ्र विभाग को निर्देशित करने की बात कही.
चंपावत सीट की विशेषता
चंपावत सीट से आधे से अधिक मतदाता टनकपुर और बनबसा में हैं. यह सीट पूर्व सैनिक बाहुल्य भी है. सैनिक पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले सीएम के लिए पूर्व फौजियों की हमदर्दी पहले से ही रही है. इसके अलावा साल 2017 और 2022 में यह सीट बीजेपी की झोली में गई है, इसका भाजपा को लाभ मिल सकता है. सीएम गुरुवार को चंपावत दौरे पर पहुंचे हैं. उनके साथ कैलाश गहतोड़ी भी हैं.
सीएम धामी का चंपावत से चुनाव लड़ना तय हो गया है. ऐसे में कांग्रेस पर उनके खिलाफ दमदार प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने का भी दबाव होगा. हालांकि उनके पास इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, पूर्व राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा, कांग्रेस नेत्री विमला सजवाण जैसे विकल्प मौजूद हैं, लेकिन सीएम के सामने कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार उतरना होगा. ऐसे में देखते हैं कि कांग्रेस अपने किस नेता पर दांव खेलेगी?