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Home राज्य

बीजेपी-कांग्रेस ने क्यों भुलाया ‘शराबबंदी’ का मुद्दा?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
26/11/23
in राज्य, समाचार
बीजेपी-कांग्रेस ने क्यों भुलाया ‘शराबबंदी’ का मुद्दा?

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में शराबबंदी वह मसाला है जो पिछले चुनाव साल 2018 के दरमियां जमकर चर्चा में रहा। साल 2023 में एक बार फिर से यह विपक्ष के लिए चुनावी मुद्दा बन गया। चुनाव के ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की सरकार पर शराबबंदी को लेकर जमकर आरोप लगाए लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते गए भाजपा ने शराबबंदी के मुद्दे से मानो दूरी बना ली। यानी 2018 से लेकर 2023 तक जो मुद्दा प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी लगातार उठाती रही, मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार पर सीधे आरोप लगाती रही, वह मुद्दा विधानसभा चुनाव के ठीक पहले गुम हो गया। आखिरकार इसके पीछे की वजह क्या है?

दरअसल, छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां बड़ी मात्रा में शराब की खपत है या फिर यह कह सकते हैं कि शराब से होने वाली आय से सरकार का खजाना भरता है। इसलिए सरकारें शराब का कारोबार बंद करने का मुद्दा भूल जाती हैं। क्योकि पिछले साल सरकार ने 15 हजार करोड़‌ शराब बेची थी। जिससे सरकार को 6800 करोड़ रुपए का टैक्स मिला था।

सरकार ने 2023-24 में रखा 8300 करोड़ का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ में शराब की खपत में लगातार इजाफा हो रहा है। यही वजह है कि हर साल नए वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग नए टारगेट के साथ मैदान में उतरता है। छत्तीसगढ़ में शासकीय शराब दुकान है यानी की छत्तीसगढ़ में बिकने वाली शराब का सीधा पैसा शासन के पास आता है। यही वजह है कि सरकार ने साल 2023-24 के वित्तीय वर्ष के दौरान 8 हजार 300 करोड़ का लक्ष्य रखा है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल अक्टूबर माह की अपेक्षा इस साल 30 प्रतिशत तक राजस्व में वृद्धि हुई है इसी वजह से एक बड़ा लक्ष्य रखा गया है।

शराब से कितना आ रहा पैसा

प्रदेश में शराब से आने वाले राजस्व पर नजर डालें तो यह साफ हो जाएगा कि आखिर सरकार क्यों शराब के कारोबार को नहीं छेड़ना चाहती। साल 2022-23 की बात‌ करे तो राज्य‌ सरकार ने 6 हजार 700 करोड़ का लक्ष्य रखा था जिसे वक्त रहते पूरा भी कर लिया गया था। इसके बाद एक बार फिर 8,300 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया है जिसमें राज्य सरकार अब तक 4554 करोड़ रुपए के लक्ष्य तक पहुंच गई है। माना जा रहा है कि वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले बचे हुए लक्ष्य तक विभाग पहुंच जाएगा। वहीं दूसरी तरफ नवंबर माह में नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में शराब से 21 नवंबर तक की स्थिति में 300 करोड़ रुपए की प्राप्ति हो चुकी है। इसी तरह पिछले साल नवंबर माह में 600 करोड़ रुपए की आमदनी शराब कारोबार से हुई थी। माना जा रहा है कि आने वाले 10 दिनों के भीतर पुराने लक्ष्य तक बेहद आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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