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जंतर-मंतर पर फिर क्यों पहुंचे भारतीय पहलवान, क्या है दिग्गजों की मांग?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
23/04/23
in राज्य, राष्ट्रीय
जंतर-मंतर पर फिर क्यों पहुंचे भारतीय पहलवान, क्या है दिग्गजों की मांग?
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नई दिल्ली : जनवरी में कड़ाके की सर्दी में भारत के दिग्गज पहलवान जब जंतर-मंतर पर पहुंचे तो पूरा देश चौंक गया था। विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक जैसी दिग्गज खिलाड़ियों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण और कोच पर यौन शोषण समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद तुरंत ही जांच समिति का गठन कर दिया गया था। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट भी तैयार कर ली, लेकिन उस बारे धरने में शामिल हुए पहलवानों को नहीं बताया गया। इससे वह निराश हो गए और अब फिर से जंतर-मंतर पर पहुंच गए।

पहलवानों ने इस बार क्या कहा?

रविवार (23 अप्रैल) को धरने पर बैठने आए पहलवानों ने खेल मंत्रालय पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। पहलवानों ने कहा कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया है, एक महीने में कार्रवाई का भरोसा दिया गया था लेकिन अब तीन महीने बाद भी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। साथ ही कहा कि सरकार ने पहलवानों को जो आश्वासन दिया था वह झूठा निकला। सरकार ने पहलवानों के साथ धोखा किया है।

पहलवानों के आंसू भी छलके

भारत को पदक दिलाने वाले एथलीट्स के आंसू भी छलके। साक्षी और विनेश रो पड़ीं। इन्होंने कहा कि पहलवानों को अब झूठा कहा जा रहा, जबकि वह सच्चाई की लड़ाई लड़ रही हैं। कोई फैसला न आने तक वह फिर से अब धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। पहलवानों ने कहा कि WFI शक्तिशाली है तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलेगा?

तीन दिन तक चला था प्रदर्शन

पहलवानों का प्रदर्शन जनवरी में तीन दिनों तक चला था। पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बातचीत के बाद धरने को समाप्त किया था। उस समय बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से अस्थायी रूप से हटा दिया गया और उनके ऊपर लगे आरोपों की जांच के लिए समिति बना दी गई थी।

खेल मंत्री ने बनाई थी निगरानी समिति

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने 23 जनवरी को एमसी मैरी कॉम की अगुवाई में जांच के लिए निगरानी समिति का गठन किया था। जिसमें कमांडर राजेश राजगोपालन, राधिका श्रीमान, बबिता फोगाट, योगेश्वर दत्त और तृप्ति मुरुगुंडे को शामिल किया गया था।

बृजभूषण सिंह ने क्या कहा था?

अपने ऊपर लगे आरोपों पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था, ”क्या ऐसा कोई खिलाड़ी है जो आकर कह सकता है कि कुश्ती संघ ने उसे प्रताड़ित किया?  क्या उन्हें पिछले दस साल से फेडरेशन से कोई समस्या नहीं थी? ये सारी बातें तब हो रही हैं जबसे नए नियम लागू किए गए हैं। धरने पर बैठे पहलवानों ने ओलंपिक के बाद से किसी भी राष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है। यौन शोषण की कोई घटना नहीं हुई है। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो मैं फांसी लगा लूंगा।”

समिति के सामने हुए थे बृजभूषण

बृजभूषण शरण सिंह फरवरी में पहलवानों के आरोपों की जांच कर रही निगरानी समिति के समक्ष पेश हुए थे। बृजभूषण तकरीबन तीन घंटे समिति के समक्ष रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया था।

साबित नहीं हुए आरोप

सूत्रों के मुताबिक, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत अन्य महिला पहलवानों की ओर से लगाए गए यौन शोषण के आरोप साबित नहीं हुए। खेल मंत्रालय ने आरोपों की जांच के लिए 23 जनवरी को एमसी मैरी कॉम की अगुवाई में पांच सदस्यीय निगरानी समिति का गठन कर दिया था। समिति ने अप्रैल के प्रथम सप्ताह में खेल मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

इसी महीने अप्रैल में बजरंग पूनिया ने कहा था कि मामले की जांच के लिए नियुक्त निगरानी समिति की रिपोर्ट और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) और उसके अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रमुख भारतीय पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों के विरोध में पहलवान अदालत जाएंगे।

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