नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पिछले एक महीने के भीतर आतंकी घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान आतंकवादियों ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया, जिनमें 12 जवान शहीद हुए हैं और 9 आम नागरिकों की मौत हुई है. इसके बाद से देश के सुरक्षा तंत्र को लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं. वहीं देश में एक बार फिर आतंक पर सर्जिकल स्ट्राइक की मांग भी तेज हो गई है. इस सबके बीच सुरक्षबलों को चौंकाने वाली जानकारी मिली है.
बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों पर हमलों की जिम्मेदारी लेने के लिए आतंकी संगठनों द्वारा रेजिस्टेंस फ्रंट, पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स जैसे नामों के बाद अब कश्मीर टाइगर्स नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है. जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठन सुरक्षाबलों की जांच को प्रभावित करने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं, इससे पहले भी आतंकी संगठन इस तरह की रणनीति अपना चुके हैं.
दरअसल, जम्मू में हाल ही में आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी गई है, जहां आतंकवादियों द्वारा विभिन्न स्थानों पर कई घातक हमले किए गए हैं. हालिया हमला डोडा में हुआ था, जहां घने जंगलों में सेना के एक सर्च दल पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था. इस हमले में एक अधिकारी सहित चार जवान शहीद हो गए. जवाबी कार्रवाई के लिए सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था. अज्ञात आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और भविष्य में सेना पर और ऐसे हमले करने की चेतावनी दी है.
पुलिस जांच को गुमराह करने के लिए अपनाई जा रही रणनीति
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि यह जैश-ए-मोहम्मद ही है, जो भ्रम पैदा करने और पुलिस जांच को गुमराह करने के लिए ऐसी रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है. दिसंबर 2021 में कश्मीर टाइगर्स नाम पहली बार तब सामने आया था, जब संगठन ने दावा किया था कि उसके कैडर ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में पुलिस पर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में 3 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 11 अन्य घायल हो गए थे. इस घटना के कुछ महीने बाद, दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी फिर से इसी संगठन ने ली थी. हालांकि उसके बाद 3 साल तक संगठन खामोश रहा. अब जब जम्मू में एक के बाद एक आतंकी हमले हुए तो कश्मीर टाइगर्स फिर से चर्चा में आ गया है.
दूसरे नाम से हमलों की जिम्मेदारी ले रहे आतंकी संगठन
पुलिस सूत्रों ने पुष्टि की है कि जैश फिर से इन घातक हमलों के लिए इस नाम का इस्तेमाल कर रहा है. नाम न छापने की शर्त पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए जैश और लश्कर द्वारा एक सोची-समझी योजना बताया. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब आतंकी संगठन झूठे नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब आतंकवादी संगठन दूसरे नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह योजना पहले भी अपनाई जा चुकी है. इससे पहले कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स, पीएएफएफ जैसे नामों का भी इस्तेमाल किया गया है, और सुरक्षा बलों को इस योजना के बारे में पता है.
नाम बदलकर हमलों की जिम्मेदारी लेने की रणनीति का एक बड़ा कारण भ्रम पैदा करना और पुलिस जांच में बाधा डालना है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि एक अन्य महत्वपूर्ण कारण यह है कि आतंकी हमले को स्थानीय टच देने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि कश्मीर टाइगर्स यह धारणा बनाएंगे कि ये स्थानीय आतंकवादी ही सक्रिय हैं और इन हमलों को अंजाम दे रहे हैं.