नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने सोमवार को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया है। इसी के साथ राजनीतिक गलियारों में चहलकदमियां और बढ़ गई हैं। पांच में से तीन राज्य (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) के चुनावों को अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है। तीनों राज्यों में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में एक ऐसा प्लान बनाया है जिससे आगामी लोकसभा चुनाव और 2027 में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी असर देखने को मिल सकता है।
मायावती का क्या प्लान?
मायावती की पार्टी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) से हाथ मिलाया है। एमपी में भाजपा की सरकार है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में है। ऐसे में बसपा और जीजीपी एक साथ चुनावी मैदान में उतर कर दोनों राज्यों के दलित और आदिवासी वोटरों को साधना चाहती है। इस प्लान को मायावती की ‘नई सोशल इंजीनियरिंग’ कहा जा रहा है। मायावती को यह उम्मीद है कि अगर गठबंधन कर उनकी पार्टी एमपी और छत्तीसगढ़ में बढ़त बनाती है तो उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में भी इस प्रयोग से 2027 के चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है।
सीटों का बंटवारा कैसे?
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 178 सीटों पर बसपा और 52 सीटों पर जीजीपी चुनाव लड़ेगी। एमपी में कुल 230 सीटें हैं। एमपी में 47 सीटें एसटी और 35 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में 53 सीटों पर मायावती की पार्टी और 37 सीटों पर जीजीपी चुनावी मैदान में उतरेगी। छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 29 सीटें एसटी और 10 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं।
भाजपा-कांग्रेस के लिए क्यों टेंशन?
मध्य प्रदेश की कुल आबादी में 17 फीसदी दलित हैं। वहीं राज्य में 22 फीसदी आदिवासी हैं। छत्तीसगढ़ में दलितों की आबादी 15 फीसदी। वहीं 32 फीसदी आदिवासी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों राज्यों में एससी-एसटी वोटर भाजपा और कांग्रेस का सपोर्ट करते रहे हैं। दोनों ही राज्यों में इनकी भूमिका अहम है। ऐसे में मायावती ने जीजीपी के साथ गठबंधन कर एक बड़ा दांव चल दिया है। यह वोटर अगर बसपा-जीजीपी के गठबंधन की ओर शिफ्ट हो जाते हैं तो भाजपा और कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंच सकता है और इसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।
और बदल लिया प्लान
बसपा सुप्रीमो मायावती पहले बगैर किसी गठबंधन के ही चुनावी मैदान में उतरने वाली थीं। लेकिन अब वो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीजीपी के साथ हाथ मिलाकर मैदान में उतरी हैं। वहीं राजस्थान और तेलंगाना चुनाव में बसपा अकेले ही मैदान में उतरेगी। मायावती ने सोमवार को ट्वीट कर बताया, ‘बीएसपी मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ चुनावी समझौता करने के अलावा, मिजोरम को छोड़कर, राजस्थान व तेलंगाना इन दोनों राज्य में अकेले ही बिना किसी से कोई समझौता किए हुए चुनाव लड़ रही है और इन राज्यों में अच्छे रिजल्ट की उम्मीद करती है।’
ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मायावती का यह प्लान कारगर साबित होता है? क्या इस प्लान से अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव पर और 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव पर कोई असर पड़ सकता है?