जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ में आपदा के पांच महीने पूरे हो गए हैं. 31 मई वो आखिरी तारीख थी जब तक लोगों को कैंपों में रहने के लिये तय किया गया था, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि लोग वापस अपने टूटे हुए असुरक्षित मकानों में ही वापस लौटने लगे हैं? TV9 भारतवर्ष एक बार फिर जोशीमठ में ग्राउंड जीरो पर पहुंचा है. हालात कितने बदले और क्या मदद मिली ये जानने के लिए TV9 भारतवर्ष की टीम मौके पर पहुंची.
यहां पीड़ित परिवार के लोगों की शिकायत है कि उनके जमीन और मकान के एवज में मिली मुआवजे की राशी ऊंट के मुंह में जीरा समान है. इतने पैसों में वह परिवार और पशुओं समेत कहीं और नहीं शिफ़्ट हो सकते.
जिस मकान की बुनियाद खिसक गई उस घर में रहने को मजबूर हुए रहवासी
पीड़ित दुर्गा प्रसाद सकलानी का कहना है कि प्रशासन से बारह लाख पचास हजार का चेक तो ले लिया लेकिन इसे अभी तक भुनाया नहीं है. दुर्गा प्रसाद के भाई प्रमोद सकलानी को तो ये चेक भी नहीं मिला. इनके मकान की बुनियाद खिसक चुकी है, लेकिन उसी के ऊपर वाली मंज़िल पर बने कमरे में बैठ कर परिवार नाश्ता कर रहा है. कुछ दिनों से यहां भारी बारिश भी होने लगी है और ये ऐसे मकानों के लिये खतरे की घंटी है लेकिन फिर भी ये लोग यहीं रहना चाहते हैं.
इस साल जनवरी में जोशीमठ की हालात बहुत ज्यादा खतरनाक हो गए थे. घरों में अचानक गहरी दरारें पड़नी शुरू हो गई. जमीन में दरारें आने लगी. जगह-जगह पानी रिसने लगा. बता दें कि 9 वार्ड के 868 घरों में दरारें आई हैं.