नई दिल्ली: वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी, और मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी भी दे दी है। इसके बाद यह चर्चाएं हैं कि इस रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर एक देश एक चुनाव को लेकर संसद में जल्द ही बिल लाया जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के इस कोर एजेंडे को बिहार के दोनों ही सहयोगी दलों से समर्थन मिल रहा है।
जेडीयू से लेकर लोकजनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम पार्टी ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया है। बिहार के इन सहयोगियों से बीजेपी को मिला समर्थन पार्टी मोदी सरकार के लिए सकारात्मक रहा है, क्योंकि यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर एनडीए का पूरा गुट एक साथ खड़ा दिख रहा है।
कई मुद्दों पर अलग रही थी राय
इससे पहले लेटरल इंट्री से लेकर वक्फ संशोधन या जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एनडीए के सहयोगी दल बिखरे नजर आ रहे थे। मोदी सरकार को यह भी स्पष्ट करना पड़ा कि वह आपत्तियों के बाद अनुसूचित जातियों के लिए कोटा के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के साथ नहीं जाएगी।
जेडीयू के सलाहकार केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने चार साल पहले एक राष्ट्र, एक चुनाव के समर्थन में अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। इससे हमारे जैसे छोटे दलों को कम चुनावी फंड के साथ मदद मिलेगी।
जेडीयू ने बताया देश हित का फैसला
इसके अलावा JDU के राज्य प्रमुख प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि हमारे वरिष्ठ नेता, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) और राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने रामनाथ कोविंद समिति के समक्ष पार्टी का रुख स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है। इसकी आलोचना करने वालों को पता होना चाहिए कि हमने 1967 तक ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का पालन किया।
चिराग ने बताया लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अहम
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया। एलजेपी (R) के प्रमुख पासवान ने एक्स पर हिंदी में पोस्ट किया कि एक राष्ट्र, एक चुनाव से देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत होगी, चुनाव खर्च कम होगा और विकास परियोजनाओं में तेजी आएगी। साथ ही इससे चुनावों में पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ कम होगा। इससे सुरक्षा के लिहाज से अर्धसैनिक बलों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी आसान होगी।
उन्होंने कहा कि उनके पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने इस नीति का समर्थन किया था। इसके अलावा जीतनराम मांझी न भी इस कदम का स्वागत किया है।