रायपुर: छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। छत्तीसगढ़ उन राज्यों में है जहां कांग्रेस में गुटबाजी कम है। विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को डेप्युटी सीएम बनाने की घोषणा की। टीएस सिंहदेव के डेप्युटी सीएम बनने के बाद राज्य में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। सिंहदेव के पावर में आने के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जबकि कांग्रेस अपने आप को मजबूत मान रही है। टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच बढ़ती दोस्ती ने बीजेपी को अपनी चुनावी रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। आइए जानते हैं वो 5 कारण कैसे टीएस सिंहदेव को पावर देकर कांग्रेस ने बीजेपी को बैकफुट पर भेज दिया है।
भूपेश बघेल-टीएस सिंहदेव के बीच सुलह
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे थे। एक महीने पहले तक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें सामने आ रही थीं। टीएस सिंहदेव ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्म्युले को लेकर कई बार बयान दे चुके थे। टीएस सिंहदेव के नाराज होने की खबरों के बीच बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर थी। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के मनमुटाव का बीजेपी फायदा उठाना चाहती थी, माना जा रहा था कि टीएस सिंहदेव, चुनाव से पहले कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं लेकिन कांग्रेस ने 28 जून को टीएस सिंहदेव को डेप्युटी सीएम बनाने का लेटर जारी कर दिया। इसके बाद से टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल की नाराजगी की खबरों पर विराम लग गया।
उपमुख्यमंत्री बनने के बाद कैसे बदले हालात
दिल्ली में हुई बैठक के बाद टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उप मुख्यमंत्री बनाने का लेटर जारी हुआ। लेटर जारी होते ही टीएस सिंहदेव को लेकर जो कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। उसमें पूरी तरह से विराम लग गया। टीएस सिंहदेव भी भूपेश सरकार की तारीफ करने लगे। यहां तक उन्होंने ये भी कह दिया कि अगर राज्य में फिर से कांग्रेस की वापसी होती है तो भूपेश बघेल, सीएम पद के लिए पहली पसंद होंगे।
कांग्रेस को अंदरूनी कलह खत्म, बीजेपी को नुकसान
कांग्रेस में आपसी कलह का बीजेपी फायदगा उठाना चाहती थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टीएस सिंहदेव को डेप्युटी सीएम बनाकर पार्टी ने एकजुटता का संदेश दिया। वहीं भूपेश बघेल ने कैबिनेट विस्तार के बाद टीएस बाबा को हेल्थ के अलावा ऊर्जा विभाग का भी मंत्री बनाया गया। इससे पहले टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच खींचतान की खबरों को लेकर बीजेपी भूपेश सरकार पर हमला कर रही थी। बीजेपी इस गुटबाजी का फायदा सरगुजा पर लेने की कोशिश कर रही थी। खुद टीएस सिंहदेव ने चुनाव लड़ने की लेकर खुलकर नहीं कहा था।
सत्ता में इसी जोड़ी ने कराई थी वापसी
2018 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल-टीएस सिंहदेव की जोड़ी ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई थी। भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष थे तो वहीं, टीएस सिंहदेव घोषणा पत्र के प्रमुख थे। दोनों की जोड़ी ने 15 सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी को करारी हार दी थी। दोनों नेताओं ने पूरे प्रदेश में कड़ी मेहनत की और पार्टी को सत्ता में ले आए। बीजेपी को लग रहा था कि गुटबाजी के कारण इस चुनाव में दोनों एकजुट नहीं हो पाएंगे जिसका फायदा पार्टी को मिलेगा।
बीजेपी का फोकस टीएस सिंहदेव के इलाकों पर था
टीएस सिंहदेव सरगुजा राज परिवार के सदस्य हैं। वो अंबिकापुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। दोनों नेताओं के गुटबाजी के बीच बीजेपी ने सरगुजा इलाके में अपना दखल बढ़ा दिया था। सरगुजा संभाग को टीएस सिंहदेव का गढ़ माना जा रहा था। 2018 में कांग्रेस ने यहां की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन दोनों नेताओं के एकजुट होने के बाद कांग्रेस ने अब बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।