नई दिल्ली. जिम्बाब्वे सरकार ने एक नया नियम लागू किया है जिसके तहत अब व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन्स को अपनी पहचान पंजीकृत करानी होगी और ग्रुप चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होगा. यह नियम सूचना, संचार प्रौद्योगिकी, पोस्टल और कूरियर सेवाओं की मंत्री ततेंदा मवेतेरा द्वारा घोषित किया गया है. लाइसेंस की लागत $50 से शुरू होगी, जो एडमिन्स के लिए अनिवार्य रूप से लागू होगी.
सरकार का कहना है कि इस नए नियम का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैलने वाली गलत जानकारी को रोकना और देश में शांति बनाए रखना है. यह कदम जिम्बाब्वे के डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के अनुरूप है, जिसमें यह प्रावधान है कि कोई भी जानकारी जो किसी व्यक्ति की पहचान को उजागर कर सकती है, उसे व्यक्तिगत डेटा के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए. व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन्स के पास सदस्यों के फोन नंबर तक पहुंच होती है, जिससे वे भी इस कानून के तहत आते हैं.
गलत सूचना पर रोक लगाने का प्रयास
इस विषय में जानकारी देते हुए सूचना मंत्री मोनिका मुत्स्वंगवा ने कहा कि इस लाइसेंसिंग प्रक्रिया के जरिए गलत सूचनाओं के स्रोतों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि यह नियम सिर्फ व्हाट्सएप तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि डेटा प्रोटेक्शन के व्यापक नियमों के तहत धार्मिक संस्थाओं और व्यापारिक संगठनों समेत सभी सोशल मीडिया गतिविधियों पर लागू होगा.
गोपनीयता के उल्लंघन पर उठ रहे सवाल
हालांकि सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर एक आवश्यक कदम बता रही है, लेकिन आलोचक इस नियम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन मान रहे हैं. इस नियम के तहत पंजीकरण के दौरान ग्रुप एडमिन्स को अपनी निजी जानकारी साझा करनी होगी, जिससे लोगों की निजता पर असर पड़ सकता है.
यह नियम व्हाट्सएप के हाल ही में गलत सूचना रोकने के लिए उठाए गए कदमों जैसे ‘सर्च ऑन वेब’ फीचर के अनुरूप माना जा रहा है, लेकिन लाइसेंसिंग की अनिवार्यता ने ऑनलाइन समुदायों में बहस को जन्म दे दिया है. कई लोग इस कदम की व्यावहारिकता और इससे ऑनलाइन चर्चा पर पड़ने वाले असर को लेकर सवाल उठा रहे हैं.