नई दिल्ली : सात अक्तूबर की तारीख इस्राइलियों के लिए काल बनकर आई। फलस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने इस्राइल पर हमला किया और उसके लड़ाके गाजा सीमाओं से बेरोकटोक प्रवेश कर गए। सैनिकों और नागरिकों को मारते रहे। इसके बाद इस्राइल के खुफिया तंत्र की विफलता को लेकर इस्राइली सेना पर सवाल उठने लगे हैं। यह हमला 1973 में हुए योम किप्पुर युद्ध की 50वीं बरसी के एक दिन बाद हुआ। उस युद्ध में भी इस्राइली सेना सीरिया और मिस्र के टैंकों से घिर गई थी। इत्तेफाक यह है कि यह युद्ध भी यहूदी समुदाय के पवित्र दिन पर हुआ था। इस्राइली सेना एक बार फिर हमास के अचानक हमले से भौचक रह गई।
इस बीच रक्षा विशेषज्ञों से लेकर खुफिया एजेंसी में काम कर चुके लोग चूक पर जोर दे रहे हैं। इस्राइली सेना ने भी अब अपनी गलती मान ली है और जांच कराने का आश्वासन दिया है। आइये जानते हैं आखिर कैसे अपने साजिश को अंजाम दे पाया हमास? इस्राइली एजेंसियों ने क्या गलतियां कीं? आगे क्या होगा?
पहले जानते हैं हुआ क्या?
शनिवार (सात अक्तूबर) को गाजा पट्टी स्थित आतंकी समूह हमास ने इस्राइल पर पांच हजार रॉकेट दागे। साथ ही इस्राइल की सीमा में लगे फेंसिंग को तोड़ बंदूकधारी शहर में घुस गए। यहां हमास आतंकियों ने लोगों से खूनी बर्बरता की और महिलाओं और बच्चों को चुन-चुनकर मारा।
एक ही दिन में इस्राइल में 700 नागरिकों की हत्या, सैकड़ों महिलाओं से दुष्कर्म, अपहरण, लूटपाट इससे पहले कभी नहीं हुआ था। आतंकियों ने गाजा से इस्राइल में सड़क, वायु और जल मार्गों से घुसपैठ की, सीमा की बाड़बंदी तोड़कर सैकड़ों आतंकी घुसे। यह बताता है कि आतंकियों ने कई महीनों की तैयारी के बाद हमले को अंजाम दिया। इसकी भनक तक इस्राइल और हमास के विरोधी मिस्र को न लगना आधुनिक सैन्य व खुफिया इतिहास की एक बहुत बड़ी अचंभित करने वाली घटना है।
हमले के बाद सबसे ज्यादा हैरानी इस्राइल के खुफिया तंत्र खासतौर पर एजेंसी मोसाद की विफलता पर जताई जा रही है। हमले के खतरे व चेतावनियां न पहचान पाना, मिसाइल रक्षा प्रणाली को पुख्ता न रखना, अधूरी सैन्य तैयारियां, इस्राइल की कुछ ऐसी नाकामियां हैं, जिन्होंने हमास आतंकियों को इस्राइल के इतिहास का बड़ा नरसंहार करने दिया।
आखिर कैसे अपने साजिश को अंजाम दे पाया हमास?
शनिवार तड़के गाजा से हमलावरों के इस्राइल में घुसने से कुछ समय पहले, इस्राइली खुफिया तंत्र को आतंकी गतिविधियों के बढ़ने के संकेत मिले। जब अधिकारियों को लगा कि कुछ असामान्य हो रहा है, उन्होंने गाजा सीमा पर तैनात इस्राइली सैनिकों को अलर्ट भेजा। लेकिन चेतावनी पर कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि या तो सैनिकों को यह नहीं मिली या सैनिकों ने इसे नहीं पढ़ा।
कुछ ही समय बाद गाजा में मौजूद हमास ने सीमा पर इस्राइल सेना के कई सेलुलर संचार स्टेशनों और निगरानी टावरों को निष्क्रिय करने के लिए ड्रोन भेजे। इसकी वजह से वीडियो कैमरों के साथ क्षेत्र की दूर से निगरानी बाधित हो गई। ड्रोन ने रिमोट से चलने वाली मशीनगनों को भी नष्ट कर दिया, जिन्हें इस्राइल ने अपनी सीमा पर स्थापित किया था। मशीनगनों के नष्ट होने से जमीनी हमले से निपटने का एक प्रमुख साधन हट गया।
इन विफलताओं से हमलावरों के लिए सीमा के कुछ हिस्सों तक पहुंचना और उन्हें उड़ाना और आसानी से कई स्थानों पर हमला करना आसान हो गया।
तीन बिंदुओं में जानें कैसे अपने मंसूबों में कामयाब हुआ हमास
- हमास हमलावरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख संचार चैनलों की निगरानी करने में खुफिया अधिकारियों की चूक।
- सीमा पर लगे निगरानी उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता जिसे हमलावरों ने आसानी से बंद कर दिया था। इससे हमलावर आसानी से सैन्य ठिकानों पर हमला कर पाए।
- एक ही सीमा चौकी में कमांडरों का जमावड़ा, जिसे घुसपैठ के शुरुआती चरण में खत्म कर दिया गया। इससे बाकी सैनिकों के साथ संचार रुक गया।
इन गलतियों ने भी हमास के काम को किया आसान
गाजा पट्टी से लगती महज 60 किमी लंबी सीमा पर इस्राइल ने इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्शन नेटवर्क पर लगा रखा है। इसमें सेंसर और मानवीय निगरानी दोनों शामिल हैं। यह घुसपैठ और गाजा में हो रही गतिविधियों की निगरानी में मदद करता है, हमास की गतिविधियां रोकने के भी काम आता है। खासतौर पर गाजा में लाई जा रही मिसाइलें, हथियार व पुर्जे पकड़े जाते रहे हैं। लेकिन इस बार हजारों रॉकेट व मिसाइल गाजा पट्टी पहुंचाए गए और इस्राइल इन्हें नहीं रोक पाया, यह कैसे हुआ, इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है।
हमास ने एक ड्रोन कैमरे की रिकॉर्डिंग जारी कर दिखाया कि उसने कैसे इस्राइल द्वारा सीमा पर लगी सेंसर व निगरानी प्रणाली के टावरों में ड्रोन से बम डाले और विस्फोट से इन्हें बेकार किया। विशेषज्ञों के अनुसार सेंसर प्रणाली बेकार करने के अलावा ड्रोन से सैन्य ठिकानों पर भी हमले कर सैनिकों को घायल किया गया, इससे इस्राइल तेजी से जवाब नहीं दे पाया।
निगरानी विफलता को आयरन डोम की विफलता से भी जोड़ा जा रहा है, जो ज्यादा अखर रही है। इसकी वजह से हजारों रॉकेट इस्राइल को नुकसान पहुंचाने में सफल रहे। यह मिसाइल रक्षा प्रणाली 2 दशक से ज्यादा पुरानी हो चुकी है। अब तक मिसाइल हमलों को आयरन डोम बेकार करता रहा है। हमास ने नई मिसाइल प्रणाली का हमले में उपयोग किया।
आगे क्या होगा?
इस्राइल ने पहली बार हमास के हमलों को लेकर अपनी चूक की बात मानी है। इस्राइल के मिलिट्री चीफ ने कहा कि चूक के लिए इस्राइल रक्षा बल (IDF जिम्मेदार) है। हम आगे के लिए इससे सबक लेंगे। अभी हमारा मकसद हमास को क्षमताविहीन करने पर है।
आईडीएफ प्रवक्ता जोनाथन कॉनरिकस ने कहा कि हमारा मकसद नागरिकों को होने वाले नुकसान को कम करना है। हम महत्वपूर्ण युद्ध लड़ रहे हैं। हम भविष्य के लिए और अपने युद्ध अभियानों को जारी रखने की तैयारी कर रहे हैं। बाहर इस समझ के साथ कि यहां ऐसे नागरिक हैं जो हमारे दुश्मन नहीं हैं और हम उन्हें निशाना नहीं बनाना चाहते हैं, हम उन्हें वहां से हटने के लिए कह रहे हैं, ताकि हम गाजा पट्टी में हमास से संबंधित सैन्य ठिकानों पर हमला करना जारी रख सकें।
इस्राइली सेना का कहना है कि इसकी जांच युद्ध खत्म होने के बाद ही की जा सकेगी। सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम खुफिया तैयारियों को लेकर भविष्य में चर्चा करेंगे।