लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पर एक बार फिर हमला बोला है. मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी की नीति दलित, अति पिछड़े व मुस्लिम समाज की हितों को लेकर हमेशा ढुलमुल रही है. इसी के कारण सपा अब पूरी तरह बैकफुट पर नजर आ रही है.
मायावती ने कहा कि सपा का दलितों, अति पिछड़ी जातियों, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और कांशीराम जी के प्रति जाति वादी विद्वेष का लंबा इतिहास है. इस कारण साल 1995 में गेस्ट हाउस कांड हुआ था और दोनों पार्टियों का गठबंधन टूटा था. सपा अगर कांशीराम की सोच के हिसाब यूपी में गठबंधन सरकार चलाती रहती तो गठबंधन में कभी दरार नहीं पड़ती. सपा बीजेपी से लड़ने के बजाय बीएसपी को ही कमजोर करने का काम कर रही है.
मायावती के मुताबिक, सपा का दलित विरोधी चरित्र किसी से भी छिपा हुआ नहीं है. इस कारण उन्होंने संसद में आरक्षण का विधेयक फाड़ डाला था. साथ ही दलित विरोधी व्यवस्था को यूपी में बिना उचित सोच विचार के लागू करके सरकारी कर्मचारियों को बड़ा आघात पहुंचाया. मायावती ने कहा कि सपा के शासनकाल में महान दलित संतों के प्रति जातिगत द्वेष किसी से छिपा नहीं है. इसके लिए उस पार्टी को कभी भी माफ नहीं किया जा सकता है.
मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा सरकार की ओर से भीमराव अंबेडकर उद्यान पार्क और काशीराम उर्दू अरबी फारसी यूनिवर्सिटी का नाम बदल दिया गया.यह सब समाजवादी पार्टी के दामन पर ऐसे काले धब्बे हैं जो कभी धुलने वाले नहीं हैं. बता दें कि साल 1993 में सपा-बसपा ने गठबंधन कर के चुनाव लड़ा था. इसके बाद यूपी में इनकी सरकार बनी.
इसके दो साल बाद ही दोनों पार्टियों के बीच मतभेद होने लगे. इसके बाद 2 जून 1995 को बसपा मुखिया मायावती ने गठबंधन तोड़ने को लेकर स्टेट गेस्ट हाउस में पार्टी के नेताओं ने एक बैठक बुलाई. इसी दौरान सपा नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. आरोप लगा कि सपा के नेताओं ने मायावती के साथ बदसलूकी की थी.