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Home राज्य

अंबाजी मंदिर में प्रसाद पर क्यों छिड़ी जंग?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
13/03/23
in राज्य, समाचार
अंबाजी मंदिर में प्रसाद पर क्यों छिड़ी जंग?
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नई दिल्ली : गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में पारंपरिक प्रसाद की जगह चिक्की चढ़ाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साध रही है. इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने रविवार को मंदिर में मिठाई ‘मोहनथाल’ को प्रसाद के रूप में चढ़ाया और बीजेपी पर हमला किया. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा के समर्थक पैसा कमाने की वजह से मंदिर की परंपरा से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं.

कांग्रेस का आरोप

ठाकोर ने दावा किया कि अनादि काल से ही ‘मोहनथाल’ (बेसन, घी और चीनी से बनी मिठाई) अंबाजी मंदिर का एक पारंपरिक प्रसाद रहा है. उन्होंने कहा कि अगर ‘मोहनथाल’ को फिर से प्रसाद के रूप में वापस नहीं लाया गया तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा. इस बीच, ‘मोहनथाल’ के बदले ‘चिक्की’ (मूंगफली और गुड़ से बनी मिठाई) को प्रसाद के रूप में चढ़ाने का सरकार ने बचाव किया है. गुजरात के मंत्री और सरकार के प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने कहा कि ‘चिक्की’ लंबी शेल्फ लाइफ के साथ आती है और इसे बाहर रहने वाले भक्तों द्वारा ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है.

भाजपा पर आरोप

अंबाजी मंदिर के प्रसाद के मुद्दे पर चर्चा की मांग करने और सदन में विरोध करने को लेकर शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों को गुजरात विधानसभा से निष्कासित कर दिया गया था. मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता जगदीश ठाकोर ने कहा, ‘अंबाजी मंदिर में वर्षों से ‘मोहनथाल’ को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा रही है. लेकिन परंपरा की कीमत पर, पैसा बनाने के लिए भाजपा समर्थकों द्वारा इसे ‘चिक्की’ से बदल दिया गया है.’

उन्होंने कहा कि मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है और इस मुद्दे को हल करने के बजाय, भाजपा सरकार ‘धमकी’ दे रही है कि ‘मोहनथाल’ को प्रसाद के रूप में वापस नहीं लाया जाएगा. शनिवार को गांधीनगर में मीडिया से बात करते हुए मंत्री पटेल ने कहा था कि मंदिर में प्रसाद के तौर पर इस्तेमाल होने वाली चिक्की विशेष मेवों से बनाई जाती है और इसकी गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाता है.

सरकार की सफाई

उन्होंने कहा, ‘चिक्की को विशेष मिठाइयों और मूंगफली से बनाया जाता है और इसे महीनों तक संग्रहित किया जा सकता है. इसे ऑनलाइन खरीदा जा सकता है और लंबे समय तक रखा जा सकता है. यह लंबे समय तक चलती है, यहां तक कि विदेशों में बसे भक्त भी इसकी लंबी शेल्फ लाइफ के कारण इसे ऑनलाइन खरीद सकते हैं.’ आपको बता दें कि अंबाजी मंदिर देश के 51 शक्तिपीठ में शामिल हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की इस मंदिर में बेहद आस्था रही है.

 

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