उत्तर प्रदेश के कुख्यात ड्रग तस्करों को देवभूमि उत्तराखंड की हदें मादक पदार्थों की तस्करी के लिए सबसे ज्यादा पसंद क्यों है? लंबे समय से लंबित पड़े इस अहम सवाल का माकूल जवाब खुद उत्तराखंड पुलिस एसटीएफ ने ड्रग माफियाओं से ही पूछ लिया. जवाब जो मिला उससे राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स संतुष्ट भी है. इस सवाल का जवाब दिया है एसटीएफ द्वारा हाल ही में गिरफ्तार दो ड्रग माफियाओं ने. जिनके कब्जे से 3 किलोग्राम उच्च क्वालिटी की अफीम बरामद हुई है. इंटरनेशनल मार्केट में इस अफीम की कीमत 36 लाख रुपए है. बीते कई साल में यह पहला मौका है जब इस तरह की उच्च क्वालिटी वाली अफीम इतनी बड़ी तादाद में एक साथ एक ही जगह पर, उत्तराखंड राज्य पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा जब्त की गई है. गिरफ्तार ड्रग माफियाओं का नाम हरविंदर सिंह (35) और सोमपाल (40) है.
गुरुवार रात टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में इन तमाम तथ्यों की पुष्टि राज्य एसटीएफ प्रभारी एसएसपी आयुष अग्रवाल ने दी. उन्होंने आगे बताया, “राज्य के मुख्यमंत्री ने बीते कुछ समय से सूबे को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए विशेष अभियान छेड़ा हुआ है. इसमें राज्य की तमाम जिला पुलिस (थाने चौकी) अपने स्तर पर जुटे हैं. एसटीएफ विशेष रूप से उन बदनाम ड्रग माफियाओं का सिंडिकेट तबाह करने में जुटी है, जो आसानी से हाथ नहीं आते हैं. जिनका नेटवर्क न केवल उत्तर प्रदेश में ही फैला है. अपितु इन ड्रग तस्करों के काले कारोबार के लिए उत्तराखंड भी मुफीद जगह है. बस हम लोग ड्रग माफियाओं की इसी सोच को तोड़ने में जुटे हैं कि, उत्तराखंड अब ड्रग माफियाओं की मन पसंद जगह नहीं रह सकता है.”
उत्तराखंड ड्रग्स माफियाओं को क्यों पसंद?
एक सवाल के जवाब में एसएसपी एसटीएफ बोले, “दरअसल उत्तराखंड में यहां के मूल निवासी ड्रग के काले कारोबार में डायरेक्ट शामिल नहीं हैं. यहां के कुछ लोगों की मजबूरी का फायदा यूपी की उत्तराखंड से लगी सीमाओं पर बैठे ड्रग माफिया उठाते हैं. वे उत्तराखंड के अंदर ड्रग के ग्राहक और खपत का अंदाजा पहले ही लगवा लेते हैं. उसके बाद उसी अनुपात में यूपी से उत्तराखंड में ड्रग की सप्लाई की कोशिशें की जाती हैं. अब जब से उत्तराखंड पुलिस का इस सबके खिलाफ सख्त रवैये की भनक स्थानीय छोटे-मोटे ड्रग तस्करों को लगी है, तभी से यहां के स्थानीय ड्रग तस्करों ने तो पांव पीछे खींच लिए हैं. मगर ड्रग के खतरनाक काले कारोबार को करने के लिए बदनाम यूपी के बरेली, पीलीभीत, रामपुर, मुरादाबाद जिले के ड्रग तस्कर हमेशा सक्रिय रहते हैं. जैसे ही उन्हें उत्तराखंड में ड्रग की आपूर्ति का कोई ऑर्डर मिलता है वे सक्रिय हो उठते हैं.”
यूपी के इन्हीं ड्रग माफियाओं को काबू करने के लिए एसटीएफ ने सीओ एसटीएफ कुमाऊं सुमित पांडे, प्रभारी निरीक्षक एसटीएफ एमपी सिंह के नेतृत्व में ए.एन.टी.एफ टीम(एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स) कई टीमें तैयार की हैं. इन विशेष टीमों में सूब इंस्पेक्टर विपिन चन्द्र जोशी, के0जी0 मठपाल, हवलदार मनमोहन सिंह, सिपाही वीरेंद्र सिंह चौहान, नवीन कुमार और राजेंद्र सिंह महरा को शामिल किया गया है. इन्हीं टीमों ने जाल बिछाकर दो ड्रग तस्करों के कब्जे से 3 किलोग्राम अफीम जब्त की है. यह दोनों तस्कर जनपद उधम सिंह नगर में स्थित थाना रुद्रपुर से गिरफ्तार किए थे. अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया गया कि वे लोग, यूपी के बदायूं जिले से अफीम लाकर रुद्रपुर क्षेत्र में सप्लाई करने अक्सर मौका मिलने आते-जाते रहते हैं.
जनवरी से अब तक 19 किलो चरस बरामद
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने आगे कहा, इस साल के शुरुआत में एसटीएफ द्वारा, तीन नशा तस्करों से बड़ी भारी मात्रा में 19 किलो चरस की बरामदगी के साथ, लाखों रुपए के इंजेक्शन, नशीली गोलियां, स्मैक आदि ड्रग भी जब्त की जा चुकी है. अब जो यह दो तस्कर 36 लाख की अफीम के साथ रुद्रपुर में हाथ लगे उन्हें, रामपुर रोड स्थित राजकीय आदित्य झा इंटर कॉलेज के पास से गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार ड्रग माफिया बडे स्तर पर यह काला कारोबार करते हैं. दोनो ड्रग तस्करों के खिलाफ एसटीएफ की ओर से ही थाना रुद्रपुर जनपद उधम सिंह नगर में एनडीपीएस एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है.
अभी यह नहीं पता चल सका है कि दोनो ड्रग तस्कर इतनी बड़ी और कीमती खेप उत्तराखंड में आगे किसके हवाले करने वाले थे? इस भंडाफोड़ में एसटीएफ हवलदार मनमोहन सिंह की विशेष भूमिका रही. गिरफ्तार तस्कर हरविंदर सिंह ग्राम भैरपुरा थाना शीशगढ़, तहसील बहेड़ी जिला बरेली का मूल निवासी है. जबकि उसके साथ गिरफ्तार सोमपाल, रामपुरा बुजुरूप, थाना खजुरिया जनपद रामपुर उत्तर प्रदेश का मूल निवासी है. इनके कब्जे से एक मोटरसाइकिल भी जब्त की गई है.