नई दिल्ली: सनातन धर्म में व्रत यानी उपवास का विशेष महत्व माना जाता है। कई लोग साल के कुछ विशेष तीज-त्योहारों पर व्रत रहते हैं तो कई ऐसे भी हैं जो हफ्ते में कम से कम एक या दो व्रत जरूर रखते हैं। सप्ताह में एक व्रत रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और हमारे घर के बड़े बुजुर्ग भी इस बात पर खूब जोर देते हैं। दादी-नानी की ये साधारण सी बातें, वास्तव में बहुत गहरी समझ और अनुभव पर आधारित होती हैं। आज विज्ञान भी उपवास (Intermittent Fasting) की महत्ता को स्वीकार कर चुका है। ऐसे में आइए जानते हैं कि व्रत रखने के पीछे के धार्मिक और वैज्ञानिक फायदे क्या हैं।
व्रत रखने के धार्मिक कारण
सनातन धर्म में व्रत रखने का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं व्रत रखने से देवी-देवता शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। हर व्रत किसी न किसी भगवान को समर्पित होता है। जैसे सोमवार व्रत शिवजी, मंगलवार हनुमान जी, बुधवार गणेश जी, गुरुवार विष्णु-लक्ष्मी जी, शुक्रवार व्रत संतोषी माता से जुड़ा होता है। जिस व्यक्ति की जिस देवी-देवता में गहरी आस्था होती है वो उसी से जुड़ा व्रत रखता है। दादी-नानी के अनुसार व्रत ईश्वर से आत्मिक जुड़ाव का माध्यम होता है। धार्मिक दृष्टिकोण से व्रत रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने से मनोकामनाओंं की भी पूर्ति होती है।
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है व्रत
विज्ञान की दृष्टि से देखें तो दादी-नानी की इस नसीहत के पीछे स्वास्थ्य लाभ भी जुड़ा है। कहा जाता है कि व्रत रखने से “पेट को आराम” मिलता है। आज के समय में जब हम लगातार प्रोसेस्ड फूड, तली-भुनी चीजें और अनियमित भोजन कर रहे हैं, तो हफ्ते में एक दिन उपवास रखने से पाचन तंत्र को डिटॉक्स का मौका मिलता है। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि Intermittent Fasting से न केवल वजन नियंत्रित रहता है, बल्कि मेटाबॉलिज़्म भी सुधरता है।
मानसिक शांति और आत्म-नियंत्रण
व्रत सिर्फ खाने का त्याग करना ही नहीं है, यह इंद्रियों और मन पर नियंत्रण का अभ्यास भी है। जब हम एक दिन संयमित रहते हैं, तो यह हमारी मानसिक शक्ति को बढ़ाता है। इससे हम अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं।
सादगी और अनुशासन की आदत
व्रत हमें सिखाता है कि कम में भी संतोष कैसे पाया जाए। उपवास के दिन साधारण भोजन, सादा वस्त्र, कम बोलना – ये सब हमें एक अनुशासित और संतुलित जीवन जीने की ओर ले जाते हैं।
दादी-नानी की सीख में छुपा अनुभव
आपने भी नोटिस किया होगा कि पहले के बड़े बुजुर्ग जैसे दादी-नानी खुद लंबे समय तक स्वस्थ और सक्रिय रहीं। न दवाइयां, न जिम, न डॉक्टर – सिर्फ नियमबद्ध जीवनशैली और सप्ताह में एक व्रत का पालन। उनकी यह सलाह सिर्फ परंपरा नहीं थी, बल्कि आजीवन अनुभव से उपजा ज्ञान था।
क्यों जरूरी है हफ्ते में एक व्रत?
आज जब जीवन भागदौड़ से भरा हुआ है, खान-पान बिगड़ा हुआ है और मन हमेशा अशांत रहता है तो ऐसे में हफ्ते में एक व्रत रखना हमें कई तरह के लाभ दे सकता है। ये एक छोटा सा कदम हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से संतुलित बनाए रख सकता है। व्रत रखने से नकारात्मक विचार भी दूर रहते हैं और हम खुद को ईश्वर के करीब महसूस करते हैं। जिससे शरीर में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है और ये ऊर्जा हमें हर कार्य में सफलता पाने में सहायता करती है।