नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाले में फंसे नेताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सीबीआई और ईडी के फेर में आए आरोपियों को जमानत मिलना पेचीदा हो गया है. गुरुवार को अब सीबीआई ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता (46 साल) को गिरफ्तार किया है. जांच एजेंसी ने शुक्रवार को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया और रिमांड मांगी है. इससे पहले ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट से संजय सिंह को जमानत मिल गई है. दोनों एजेंसियां अलग-अलग जांच कर रही हैं.
ईडी आबकारी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है. जबकि सीबीआई की जांच पॉलिसी बनाते समय हुई कथित गड़बड़ी पर केंद्रित है. संभव है कि के कविता के बाद सीबीआई आने वाले समय में केजरीवाल की हिरासत मांग सकती है और केस से जुड़े पहलुओं पर पूछताछ कर सकती है.
दोनों जांच एजेंसियां दावा कर रही हैं कि आबकारी नीति में फंसे आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं. ईडी ने मनी ट्रेल का दावा किया है तो सीबीआई रिकॉर्ड्स से लेकर भ्रष्टाचार की कड़ियों को जोड़कर घोटाला होने का दावा कर रही है. दोनों एजेंसियां अब तक 15 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी हैं और कोर्ट में 6 चार्जशीट दायर कर चुकी हैं. ईडी ने अब तक 128 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की है. दोनों एजेंसियां 80 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं.
‘जानिए कब सामने आया कथित पूरा घोटाला?’
दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को आम आदमी पार्टी की सरकार ने आबकारी नीति लागू की थी. सरकार ने राजस्व में 9500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था. इस नीति के आने से सरकार शराब कारोबार से बाहर हो गई थी और इसे निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया था. दिल्ली में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में शराब की अधिकतम 27 दुकानें खोलने को मंजूरी दी गई. तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार को नीति में गड़बड़ी लगी तो उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी. इसमें तत्कालीन डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से एक्साइज पॉलिसी तैयार करने का आरोप लगाया. सबसे पहले दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कथित अनियमितताओं की जांच शुरू की. उसके बाद एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने पहली बार केस दर्ज किया. सीबीआई ने पीसी एक्ट यानी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा 120बी और 477ए के तहत FIR दर्ज की. इसमें सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया. इस बीच, सरकार ने इस पूरी पॉलिसी को रद्द कर दिया.
‘दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ का नुकसान होने का दावा’
चूंकि इस पूरे मामले में पैसों की हेराफेरी का आरोप भी था, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय की भी एंट्री हुई और पीएमएलए कानून के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में जांच शुरू की गई. इधर, सीबीआई ने घोटाले की परतें खोलना शुरू कर दिया. वहीं, ईडी ने पैसों की हेराफेरी में शामिल आरोपी और उनकी कड़ियां जोड़ीं और उनकी भूमिका का पता किया. सीबीआई और ईडी ने आरोपियों के ठिकानों पर सिलसिलेवार छापे मारे और गिरफ्तारियां कीं. दोनों एजेंसियों ने कोर्ट में अपनी-अपनी चार्जशीट भी दायर की हैं. इसमें आरोप लगाया है कि 2021-2022 की आबकारी नीति में दिल्ली सरकार को कथित तौर पर 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. हालांकि, आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार शुरू से ही आरोपों को नकार रही है.
‘हवाला कारोबार के चैट से आरोपियों तक पहुंची सीबीआई’
सीबीआई का कहना है कि जांच के दौरान हवाला ऑपरेटरों के व्हाट्सएप चैट और रिकॉर्ड मिले हैं, जिससे पता चला कि एक निजी चैनल के एग्जीक्यूटिव ने जून 2021 और जनवरी 2022 के बीच हवाला के जरिए 17 करोड़ के लेन-देन में अहम भूमिका निभाई. ये आरोपी आउटडोर को संभाल रहा था. उसने 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान AAP के लिए प्रचार अभियान को देख रही एक कंपनी के खाते में पैसों का ट्रांजेक्शन करवाया था. गोवा विधानसभा चुनाव 14 फरवरी, 2022 को हुए थे.
‘साउथ लॉबी से AAP को मिली 100 करोड़ रुपए रिश्वत’
जांच एजेंसी का कहना है कि आरोपी विजय नायर AAP के बड़े नेताओं से जुड़ा था. वो उनके इशारे पर काम कर रहा था. उसे AAP नेताओं के कहने पर साउथ ग्रुप (अरबिंदो फार्मा के प्रमोटर शरत रेड्डी, बीआरएस नेता के कविता, वाईएसआरसीपी के लोकसभा सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुंटा) से करीब 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली. इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व अरुण पिल्लई, अभिषेक बोइनपल्ली और बुचीबाबू ने किया था. तीनों को ही शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया है.
‘सीबीआई ने पूरे घोटाले की कड़ियां जोड़ीं’
दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया समेत कई आरोपियों के खिलाफ सीबीआई अब तक तीन चार्जशीट कोर्ट में दायर कर चुकी है. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, दिनेश अरोड़ा के जरिए साउथ लॉबी ने शराब कारोबार के लिए कुछ AAP नेताओं और लोक सेवकों को करीब 90-100 करोड़ रुपये की एडवांस रकम (रिश्वत) दी थी. एल-1 के टेंडर में शामिल एक कंपनी की 30 करोड़ रुपये की अर्नेस्ट डिपॉजिट मनी कंपनी को वापस कर दी गई. सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया है कि शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के बीच एक कार्टेल बनाया गया था. कार्टल पर पाबंदी के बावजूद शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस दिए गए. बिना एजेंडा और कैबिनेट नोट सर्कुलेट कराए कैबिनेट में मनमाने तरीके से प्रस्ताव पास करवाए गए. सभी साजिशकर्ताओं ने कथित तौर पर आपराधिक साजिश के जरिए हेरा-फेरी में सक्रिय भूमिका निभाई. इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ. इस कथित घोटाले में लोक सेवकों और साजिश में शामिल अन्य आरोपियों को अनुचित आर्थिक लाभ हुआ.
घोटाले के मुख्य किरदार
– मनीष सिसोदिया (दिल्ली के आबकारी मंत्री)
– एजी कृष्णा (पूर्व एक्साइज कमिश्नर)
– आनंद तिवारी (पूर्व डिप्टी एक्साइज कमिश्नर)
– पंकज भटनागर (पूर्व असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर)
– विजय नायर (ओनली मच लाउडर का पूर्व सीईओ)
– मनोज राय (परनोड रिकॉर्ड का पूर्व कर्मचारी)
– अमनदीप ढाल (ब्रिंडको सेल्स का डायरेक्टर)
– समीर महेंद्रू (इंडोस्पिरिट्स ग्रुप का एमडी)
– अमित अरोड़ा (बडी रिटेल का डायरेक्टर)
– दिनेश अरोड़ा, सनी मारवाह (महादेव लिकर्स का अथॉराइज्ड सिग्नेटरी)
– अरुण रामचंद्र पिल्लई
– अर्जुन पांडे
– बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड
– महादेव लिकर्स