नई दिल्ली l यूक्रेन पर रूस की बमबारी देख हर भारतीय चिंतित है। वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सरकार ने विशेष अभियान चला रखा है। दूसरी तरफ, यूक्रेन संकट को देखते हुए पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के बीच भारतीय अपने हालात पर भी मंथन और गहन चिंतन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #nuclearwar ट्रेंड कर रहा है तो भारतीयों को आज अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) भी खूब याद आ रहे हैं। इसकी भी अपनी वजह है। परमाणु ताकत आज के समय में पावरफुल देश बनने का एक बड़ा पैमाना है। अमेरिका, रूस, भारत समेत दुनिया के कुछ ही देशों के पास परमाणु ताकत है। ऐसे में आज भारतीय उन महान विभूतियों को नमन कर रहे हैं जिन्होंने भारत को इतना शक्तिशाली बनाया।
कारगिल के समय की बात है…
कारगिल में युद्ध छिड़ चुका था। अमेरिका के व्हाइट हाउस से एक फोन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पास आता है। राष्ट्रपति बिल क्लिंटन फोन पर कहते हैं कि उन्हें नवाज शरीफ ने कहा है कि उन्हें अंदेशा है कि पाकिस्तान की सेना कहीं परमाणु बम का इस्तेमाल न कर दे। वाजपेयी ने जो कहा उससे पाकिस्तान ही नहीं, अमेरिका भी सहम गया। वाजपेयी की वो बात आज भी विभिन्न मंचों से दोहराई जाती रहती है।
पाकिस्तान कल का सूरज नहीं देख पाएगा….
तब वाजपेयी ने फोन पर क्लिंटन से दो टूक कहा था, ‘पाकिस्तान को परमाणु बम का इस्तेमाल करने दीजिए… लेकिन मैं आपको आश्वासन देना चाहूंगा कि पाकिस्तान कल का सूरज नहीं देख पाएगा।’ दो दशक पहले अटल की वो ‘अटल लाइनें’ आज भी भारतीयों को गर्व से भर देती हैं। यह रोंगटे खड़े करने वाली ताकत ही है, जो दुश्मन को भारत पर बुरी नजर डालने से रोकती है। पाकिस्तान और चीन दोनों देशों को पता है कि भारत में दुनिया का महाविनाशक हथियार है जिसे दुनिया परमाणु हथियार कहती है। भारत इस पर भी अटल है कि वह इसका इस्तेमाल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए ही करेगा।
24 फरवरी को जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, देश के लोग सोशल मीडिया पर 11 मई 1998 के दिन अटल बिहारी वाजपेयी के पोखरण में परमाणु परीक्षण की घोषणा वाला वीडियो रीप्ले करके देख रहे हैं। जब वाजपेयी ने सफल परमाणु परीक्षण का ऐलान किया तो दुनिया के देश हक्के-बक्के रह गए थे। अमेरिका तमाम प्रतिबंधों की धमकी दे रहा था लेकिन वह भारत के अटल इरादों को रोक नहीं सका। आज लोग अटल के उस साहसिक फैसले को याद कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि भारत आज परमाणु संपन्न न होता तो शायद यूक्रेन जैसी स्थिति बन सकती थी।
भारत की परमाणु शक्ति के पीछे अटल-इंदिरा की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ ही होमी जहांगीर भाभा, विक्रम साराभाई, एपीजे अब्दुल कलाम को भी लोग याद करते हुए मन ही मन श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वैज्ञानिकों की मेहनत के बाद देश ने पहले न्यूक्लियर बम का सफल परीक्षण 18 मई 1974 को किया था। जगह थी पोखरण टेस्ट रेंज। बाद में 1998 में अटल बिहारी वाजेपयी ने एक बार फिर परमाणु परीक्षण कर दुनिया को भारत की ताकत का एहसास कराया।
आज के समय में जंग को अंतिम विकल्प माना जाता है लेकिन जिस तरह से रूस ने बड़ी बेफिक्री से यूक्रेन की धरती पर कदम रखा है उसने दुनियाभर में खलबली मचा दी है। सोवियत संघ के विघटन के बाद बड़ी मात्रा में परमाणु हथियार यूक्रेन के पास रह गए थे लेकिन अमेरिका-रूस समेत कई देशों ने मिलकर 1994 में बुडापेस्ट मेमोरैंडम के लिए यूक्रेन को राजी कर लिया। इसके तहत यूक्रेन अपने परमाणु हथियारों, बॉम्बर्स और मिसाइलों को नष्ट करने के लिए या रूस को देने के लिए राजी हो गया। यूक्रेन को क्या पता था कि 28 साल बाद उसके लिए यह बड़ी गलती साबित होता। तब यूक्रेन को आश्वस्त किया गया था कि रूस, अमेरिका और यूके उसे धमकी नहीं देंगे और उसकी सीमाओं की रक्षा करते हुए संप्रभुता का सम्मान करेंगे। लेकिन आज क्या हालात है देख लीजिए। यूक्रेन की संप्रभुता को रौंदा जा रहा है।
विशेषज्ञों के साथ ही आम जनभावना भी ऐसी बनी है कि अगर यूक्रेन के पास परमाणु हथियार होते तो शायद रूस इस तरह घुसकर बमबारी न करता। हालांकि इसका एक दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकता है। जिस तरह यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान न्यूक्लियर डिटरेंट (nuclear deterrent) की जरूरत दुनिया के देश महसूस कर रहे हैं, उससे साफ है कि आने वाले वर्षों में परमाणु हथियारों को हासिल करने की होड़ बढ़ने वाली है।
खबर इनपुट एजेंसी से