हिंदू धर्म में सकट चौथ व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और जीवन में खुशहाली के लिए व्रत रखती है. सकट चौथ का वर्त निर्जला रखा जाता है. इस दिन गणेश भगवान और माता सकट की पूजा होती है, पूरा दिन व्रत रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ये व्रत खोला जाता है. सकट चौथ का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह 29 जनवरी को है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है और इसका क्या महत्व है तो आइए जानते हैं
सकट चौथ का महत्व
सकट चौथ का व्रत गणेश जी को समर्पित है इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से गणेस जी की पूजा की जाती है जिससे जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती है. कहते हैं इस दिन व्रत रखने से सारे संकट दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि इस दन भगवान गणेश ने मां पार्वती और शिवजी की परिक्रमा की थी. इसलिए इस दिन व्रत रखने वाली माताओं को विशेष फल की प्राप्ति होती है.
इसके अलावा इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण किया जाता है. चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है इसलिए इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए चंद्रमा की पूजा भी करी है और अर्घ्य देती है. कहते हैं इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और मन शांत रहता है.
सकट चौथ की पूजा विधि
सकट चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से स्वच्छ करें. अब सीधे हाथ में एक सिक्का, सुपारी, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें. उन्हें अक्षत, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें. सकट चौथ के दिन तिल से बनी चीजें भगवान को जरूर चढ़ानी चाहिए. इसलिए इस दिन तिल के लड्डू आदि भगवान को अर्पित करें. पूजा में गणेश भगवान के बीज मंत्र का जाप करें और सकट चौथ व्रत कथा सुनें और आरती करें. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें.