नई दिल्ली: अमेरिकी चुनाव में इस समय राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही है। उनकी बढ़ती उम्र और लगातार हो रही गलतियों की वजह से वे डेमोक्रेट्स के ही कई नेताओं के खिलाफ आ गए हैं। लेकिन इस विरोध प्रदर्शन के बाद भी जो बाइडेन राष्ट्रपति की रेस में मजबूती से डटे हुए हैं, वे हार ना मानने की बात कर रहे हैं। अब उनका वो जज्बा कुछ कारणों की वजह से है, उस समर्थन की वजह से है जो इस मुश्किल समय में भी उन्हें मिल रहा है।
आखिर क्यों पसंद किए जा रहे बाइडेन?
इस समय कम से कम 80 ऐसे डेमोक्रेट नेता सामने आए हैं जिन्होंने खुलकर जो बाइडेन और उनकी दावेदारी का समर्थन कर दिया है। उनका मानना है कि बाइडेन का राजनीतिक रिकॉर्ड बेमिसाल है, ट्रंप को एक बार मात देना उन्हें कई दूसरे प्रत्याशियों से काफी आगे खड़ा कर देता है। इसके ऊपर यहां तक माना जा रहा है कि विदेश नीति को लेकर जिस तरह की पकड़ जो बाइडेन की दिखी है, जिस तरह से वे खुलकर काफी देर तक उस पर बात कर लेते हैं, ट्रंप ऐसा नहीं कर सकते। यह बात भी बाइडेन के पक्ष में जाती है।
विदेश नीति की हो रही तारीफ
बीबीसी से बात करते हुए नॉर्थ कैरोलिना के गवर्नर ने भी कहा है कि विदेश नीति के मामले में तो बाइडेन की पकड़ जबरदस्त है। वो असाधारण है, ट्रंप तो विदेश नीति पर एक मिनट भी नहीं बोल सकते हैं। बड़ी बात यह है कि बाइडेन को तारीफ उस गेविन न्यूसॉम से भी मिली है जो एक समय राष्ट्रपति के ही एक विकल्प के रूप में देखे जा रहे थे। कैलिफोर्निया के गवर्नर ने दो टूक बोला कि अब वो बाइडेन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, उनके मतभेद काफी कम हो चुके हैं।
कहां-कहां से मिल रहा समर्थन?
इसके अलवा एक और जरूरी संगठन Congressional Hispanic Caucus भी मुश्किल समय में बाइडेन के पक्ष में खड़ा दिख रहा है। इसके 40 सदस्य बाइडेन को ही मुफीद प्रत्याशी मानते हैं, उनके अलावा ब्लैक कॉकस के 60 सदस्य भी बाइडेन को ही पसंद कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि अमेरिका का ब्लैक वोट भी बाइडेन के पक्ष में जा रहा है। इसका बड़ा कारण यह है कि बाइडेन की छवि मानवधिकारों को बचाने वाले व्यक्ति की है, वही ट्रंप को इसके खिलाफ माना जाता है।
विवाद किस बात पर था?
अब जानकारी के लिए बता दें कि जो बाइडेन सिर्फ इस वजह से कुछ कमजोर पड़े हैं क्योंकि उन्होंने लाइव स्पीच में ऐसी गलतियां कर दीं जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की। कमला हैरिस को ट्रंप बता देना से लेकर जेलेंस्की की जगह पुतिन का नाम ले लेना, यह कुछ ऐसी चूक रहीं जिन्होंने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल उठा दिए। लेकिन बाइडेन मानते हैं कि उम्र के साथ आदमी का विवेक और ज्यादा बेहतर काम करता है और लोगों को भी सिर्फ यही पक्ष देखना चाहिए। बाइडेन तो यहां तक कह चुके हैं कि वे अपना मेंटल टेस्ट करवा सकते हैं, साबित कर सकते हैं कि वे पूरी तरह फिट हैं।