जब से पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने मुस्कुराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपशब्द कहे हैं, भारत में लोग काफी गुस्सा हैं। चर्चा पाकिस्तान में भी है, लेकिन ‘सियासी मजबूरियों’ से बंधे लोगों की ये आदतें अब वहां के लोगों से छिपी नहीं है। पाकिस्तान का इतिहास पलटकर देख लीजिए जो भी प्रधानमंत्री या सरकार में रहा है, भारत के खिलाफ दुश्मनी के ऐंगल को उसने सियासी फायदे के लिए खूब भुनाया। इमरान खान से दोनों देशों की आवाम को उम्मीद थी लेकिन आखिर में वह भी सियासी पिच के खिलाड़ी बनकर रह गए। ऐसे में भारतीयों को समझना होगा कि भाई, बिलावल (#BilawalBhutto) ने कुछ भी ऐसा नहीं किया है जो अप्रत्याशित हो। 16 दिसंबर की तारीख, एक दिन पहले मुंबई हमले की गवाह नर्स का संयुक्त राष्ट्र में कसाब के कच्चे चिट्ठे को सामने रखना, उसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर का प्रेसवार्ता में पाकिस्तान को लताड़ना… बेचारे पाकिस्तानी बौखलाएंगे नहीं तो क्या करेंगे। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि 1971 का जख्म छिपाएं या आतंक के सौदागरों का कारनामा। इसमें सबसे अच्छा यही है कि अपनी बात न करो, उल्टा भारत की सियासत में कूद पड़ो।
बहरहाल, बिलावल ने 2002 के गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए जिस तरह से मुसलमानों का रहनुमा बनने की कोशिश की है, उससे एक चीज जरूरी हो जाती है कि हर शख्स को सच्चाई पता चले भले ही वह भारतीय हो या पाकिस्तानी। यह भी समझना दिलचस्प है कि आखिर बिलावल ने सर्द मौसम में दांत दिखाते हुए माहौल गरमाने वाली बात क्यों की? यही ख्याल मन में आया तो मैंने पाकिस्तानी चैनल बदलने शुरू कर दिए। तभी एक लाइव कार्यक्रम पर नजर पड़ी। आगे दो हिस्से में पढ़िए दिलचस्प बात।
पहला हिस्सा-
पाकिस्तान की समा टीवी पर एक प्रोग्राम आता है, ब्लैक एंड वाइट। फीमेल ऐंकर ने सलाम करने के बाद सीधे अपने गेस्ट पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हसन निसार से पूछ लिया- जनाब, आज 16 दिसंबर है, सियाह तरीन दिन है जितना अफसोस किया जाए उतना कम है। क्या कहेंगे? गेस्ट सिर झुकाए कहते हैं, ‘अ जी, मुझे सुबह से एक अजीब तरह का डिप्रेशन है। बहुत ज्यादा डिप्रेशन है। थोड़ा सा नहीं, हमारे जो कैमरामैन हैं ये भी कह रहे थे। एक मुल्क का टूटना इससे ज्यादा भयानक वारदातें किसी भी कौम के साथ क्या हो सकती हैं। देखो, मेरी नस्ल खुशनसीबी और बदनसीबी का हैरतअंगेज मिश्रण है। खुशनसीबी ये कि जब पाकिस्तान बना, हम लोग नहीं थे… हमने वो तबाही, बर्बादी, जिल्लत नहीं देखी है। लेकिन उसके बाद सारी कसर निकल गई। बांग्लादेश बनते देख लिया।’
हसन निसार अपने ही हुक्मरानों को सुनाते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान को तोड़कर अलग देश का बनना… ये लोग पूर्वी पाकिस्तानियों को कमजोर समझते और जलील किया करते थे। मुजीबुर्रहमान वो आदमी था मुस्लिम लीग का, जानिसार था। हमारा अपना माइंडसेट ही ठीक नहीं था। इन्होंने बंगालियों के साथ सौतेला व्यवहार किया। सच्ची बात है, मैं कबूल कर रहा हूं। हम जब 1968 में अंडरग्रेजुएट में थे तो पूर्वी पाकिस्तानी स्टूडेंट्स का अच्छा-खासा कोटा हुआ करता था। हॉस्टल नंबर 1 में अच्छी खासी बंगालियों की तादाद थी। मुझे याद है कि उनके साथ बिहैवियर कैसा होता था। रवैये के चलते आखिर में ये मुल्क तो टूटना ही था।
औकात क्या है हमारी
हसन आगे पाकिस्तानियों पर भड़कते हुए कहते हैं कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो शर्म-ओ-हया की वजह से भी डूब मरते हैं, खुदकुशियां कर लेते हैं। आगे वह पाकिस्तान और बांग्लादेश का अंतर समझाते हैं। वे (बांग्लादेशी) 103 टके दें तो 1 डॉलर मिलता है, हम (पाकिस्तानी) 224 रुपये दें तब 1 डॉलर मिलता है। ये औकात है हमारी। आगे वह कहते हैं कि बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 46.4 अरब डॉलर है और प्यारा इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान जिसकी गर्दनों पर शरीफ, भुट्टो-जरदारी सवार रहते हैं उसकी औकात 6.9 अरब डॉलर है। ये सूरत-ए-हाल है। ये तो मातम का समय है। नई नस्लों को अंदाजा भी नहीं है कि आवाम को क्या कीमत अदा करनी पड़ रही है।
ऐंकर अगला सवाल करती हैं, ‘पंजाब, खैबर-पख्तूनख्वा, गिलगित- बाल्टिस्तान, आजाद कश्मीर (पीओके)… धरने की धमकी दी है।’ गेस्ट झट से बोल पड़ते हैं कि अंदाजा लगाइए, ये तो एक्सटेंशन लगती है मुझे। अभी हम मातम कर रहे थे बांग्लादेश का… ये आगे थोड़ा सा सीरियस हो जाए तो कहानी खत्म है। आज 16 दिसंबर है, इन लोगों को अब भी अक्ल नहीं आ रही है। ये धरने की धमकी ही नहीं है…। उनका डर यह था कि ऐसा ही रहा तो मुल्क फिर टूट सकता है।
बिरादर इस्लामी
अगला गंभीर सवाल अफगानिस्तान का आता है तो निसार कहते हैं कि देखो, हमें दौरा पड़ा रहता है फिजूल की चीजों का… बिरादर इस्लामी। क्या बिरादर इस्लामी, इन्होंने (अफगान) पाकिस्तानियों के साथ जो जिल्लत की है यूएई में, जिस तरह से अफगानों ने पाकिस्तान के साथ मिसबिहैव किया। मैं उसे नहीं भूल सकता। ये क्या है बिरादर इस्लामी? बस करो यार। बहुत हो गया।
अगला सवाल वही आया, जिसके लिए मैं समा न्यूज 15 मिनट तक सुनता आ रहा था। ऐंकर ने वही सवाल दागा जिसकी 24 घंटे से भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों में चर्चा है। बिलावल जरदारी की ओर से अमेरिका में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई बदजुबानी। हसन निसार ने क्या कहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं लेकिन असली बात तो वह पहले ही कह चुके थे। बिलावल ने गुजरात दंगे का जिक्र करते हुए मोदी को अपशब्द कहे थे। आगे ऐंकर कहती हैं कि पाकिस्तान एशिया का दूसरा सबसे महंगा मुल्क बन गया है। हालात ये है कि प्याज 240 रुपये किलो, अंडे 300 रुपये दर्जन मिल रहे हैं।
दूसरा हिस्सा-
टीवी चैनल की चर्चा चली है तो लेख का दूसरा हिस्सा भी टीवी चैनलों पर ही समर्पित कर रहा हूं। बंटवारे के बाद से ही मुसलमानों को बरगलाने की कोशिशें होती रही हैं। पाकिस्तान के मुसलमानों को यह कहकर भरमाया जाता है कि कश्मीर में हमारे भाई-बहनों पर जुल्म हो रहा है, भारत में मुसलमान खतरे में हैं। पता नहीं कहां से इन्हें खतरा दिखता है जबकि देश के कुछ धाकड़ मुस्लिम नेताओं ने पाकिस्तान को जमकर जलील किया है। ओवैसी ने भी कई बार खुले मंच से कहा है- भाई, भारत के मुसलमानों की फिक्र करना छोड़ दो। यहां तो सब फल-फूल रहे हैं। अपना गिरेबां में झांककर देखो 75 साल में पाकिस्तान क्या से क्या हो गया।
इसी तरह पाकिस्तानियों को गोधरा कांड की झूठी कहानी सुनाई जाती है। बिलावल का बिलबिलाना बस उसके आगे की कड़ी है। ऐसे में एक प्रोग्राम के कुछ अंश सबको सुनने चाहिए। कैसे एक पाकिस्तानी प्लेटफॉर्म पर पाकिस्तानी एक्सपर्ट के बीच गेस्ट ने गुजरात दंगों की सच्ची कहानी बयां की थी। जो पाकिस्तानी या कुछ भारतीय भी नहीं जानते हैं या जानना चाहते हैं, उन्हें यह सुनना चाहिए। जब बिलावल ने बात छेड़ी है तो इसे समझना जरूरी हो जाता है।
ऐंकर ताहिर गोरा इस प्रोग्राम में पूछते हैं कि लोगों को क्यों नहीं बताया जाता कि यह गलत पर्सेप्शन है (वह गोधरा कांड के बाद हुए दंगे की बात कर रहे थे)। आपको बता दें कि यह प्रोग्राम 2019 में उस समय रिकॉर्ड किया गया था जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आने वाले थे। राजनीतिक विश्लेषक उदय चौहान ने गोधरा कांड को लेकर फैली अफवाह और झूठी बातों को बड़े सरल तरीके से जमींदोज कर दिया था। आज ही नहीं, जब कभी गोधरा-गुजरात दंगों की बातें होंगी ये बात प्रासंगिक रहेगी और बताई जाएगी।
उदय चौहान कहते हैं कि जब राजनीतिक स्थिरता नहीं होती है तो प्रशासन और पुलिस भी ढीली पड़ जाती है। पूरी सोसाइटी गड़बड़ हो जाती है। भाजपा ने एक ऐसे शख्स को सीएम की कुर्सी दी थी जिसके ज्यादा सपोर्टर भी शायद न रहे हों। पुलिसवाले भी सुनते न रहे हों।
उदय चौहान ने आगे कहा, ‘अगर उन्होंने (नरेंद्र मोदी) दंगे करवाए होते, जैसा कि लोग आरोप लगाते हैं। गुजरात की पब्लिक सबसे ज्यादा शिक्षित पब्लिक में से मानी जाती है। वो इतनी बेवकूफ नहीं है कि एक के बाद एक तीन चुनाव जिताएगी। एक बार जब ये जम गए तो गुजरात में कभी कोई दंगा नहीं हुआ। कितनी हैरानी की बात है कि आज के समय में जब मोदी का विरोध करने के लिए लोगों को कुछ नहीं मिलता वो 2002 में पहुंच जाते हैं।’
बेचारा पाकिस्तान
अब मोदी के खिलाफ बिलावल क्यों बिलबिलाने लगे यह आसानी से समझा जा सकता है। मुल्क के लोग महंगाई से कराह रहे हैं, खजाना खाली है, दुनिया में देश इतना बदनाम हो चुका है कि वहां के लोगों और सियासतदानों की कोई इज्जत नहीं करता है। जहां भारत तरक्की के पायदान चढ़ता जा रहा है, मंगल और चांद के मिशन भेजे जा रहे हैं, जी20 से लेकर दुनिया के हर मसले में भारत का कद बढ़ा है, धर्म के नाम पर अलग बने मुल्क का हश्र देख लीजिए। बेहाल देश के बदहवास नेता अपने लोगों को भरमाने के लिए कहें तो क्या कहें, उनके लिए अच्छा यही रहता है कि रोटी, कपड़ा, मकान और विकास की बातें छोड़ भारत के खिलाफ नफरती आग उगलते रहो। पाकिस्तान में यही होता आया है और आगे भी यही हो रहा है। बिलावल के खिलाफ भारत में तीखे प्रदर्शन हो रहे हैं। भाजपा के लोग भड़के हुए हैं। अ जी ऐसे ‘पाकिस्तानी पप्पू’ को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं लगती। ये तो सबको दिख रहा है कि पूरा मुल्क बेमौत घुट रहा है।