नई दिल्ली : झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव हैं। राज्य में चुनाव से पहले ही सियासी हलचल तेज हैं। कुछ दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री रहे चंपई सोरेन अब भाजपा में शामिल होंगे। कई दिनों से झारखंड मुक्ति मोर्च (झामुमो) नेता के अलग पार्टी बनाने की अटकलें थीं। हाल ही में उन्होंने झामुमो में खुद का अपमान होने की बात कह कर पार्टी से अलग राह तलाशने की बात कही थी।
आइये जानते हैं कि झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले क्या हो रहा है? चंपई सोरेन भाजपा में क्यों शामिल हो रहे? उनका सियासी सफर कैसा रहा है?
झारखंड में अभी क्या हो रहा है?
राज्य के पूर्व सीएम चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। भाजपा प्रदेश प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने एक एक्स पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। सरमा ने अपनी पोस्ट में बताया कि चंपई सोरेन ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
बता दें कि चंपई सोरेन सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे थे जहां उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। बीते मंगलवार के बाद से यह उनकी दूसरी दिल्ली यात्रा थी। अपनी पिछली दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने झामुमो के पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही नया विकल्प भी तलाशने की बात कही थी। बाद में ये चर्चाएं भी हुईं कि वे नई पार्टी भी बना सकते हैं। आखिरकार अब चंपई भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। मंगलवार को एक बयान में झामुमो नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उन पर भरोसा जताया है।
चंपई सोरेन भाजपा में क्यों शामिल हो रहे?
हाल ही में चंपई ने एक सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए पार्टी नेतृत्व पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाया था। 18 अगस्त को लिखे एक पोस्ट में चंपई ने कहा, ‘लगातार अपमानजनक व्यवहार से भावुक हो कर मैंने सियासत में नए विकल्प को अपनाने का फैसला किया है।’
चंपई के मुताबिक, 1 जुलाई को अगले दो दिनों के उनके सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था। पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें बताया गया कि गठबंधन द्वारा 3 जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक वो सीएम के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।
चंपई ने कहा, ‘विधायक दल की बैठक के दौरान उनसे इस्तीफा मांगा गया और मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्मसम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।’
कैसा रहा है चंपई का सियासी सफर?
चंपई सोरेन झारखंड विधानसभा के सदस्य हैं। वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं। कैबिनेट मंत्री के रूप उन्होंने परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण और जल संसाधन, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभाली।
‘झारखंड टाइगर’ के नाम से चर्चित
चंपई ने 1974 में जमशेदपुर स्थित राम कृष्ण मिशन हाई स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी। जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही तो उस दौरान चंपई का नाम खूब चर्चा में रहा। ‘कोल्हान के टाइगर’ के नाम से मशहूर चंपई इस आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने में अहम भूमिका निभाते थे। उनकी सक्रियता में 1990 के दशक में जमशेदपुर में टाटा स्टील फैक्ट्री के गेट पर एक चर्चित आंदोलन शामिल है। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी बुलाने लगे।
1991 में चंपई निर्दलीय विधायक बने
चंपई संयुक्त बिहार में 1991 में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। के.सी. मार्डी के इस्तीफे के बाद चंपई ने बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था। फिर 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे।
वहीं 2005 में चंपई झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2009 में भी विधायक बने। उन्होंने अर्जुन मुंडा वाली सरकार में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वहीं जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन कैबिनेट मंत्री थे।
2014 में फिर झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए। वहीं 2019 में भी विधायक बने। इसके साथ ही वह हेमंत सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बन गए। 2019 में चंपई ने अपनी संपत्ति 2.55 करोड़ बताई थी।
हेमंत सोरेन जेल गए तो शिबू सोरेन के विश्वस्त को मिली कमान
31 जनवरी, 2024 को भूमि घोटाले के आरोपों के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से ऐन पहले उन्होंने पद से त्यागपत्र दिया। इसके बाद 2 फरवरी को सोरेन सरकार में परिवहन मंत्री रहे चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद मिल गया। वह हेमंत सोरेन के सबसे खास लोगों में माने जाते रहे हैं। चंपई ने शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया है।
हेमंत सोरेन की वापसी से छिनी कुर्सी
इसी साल जुलाई झारखंड में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन हुआ। अदालत से जमानत मिलने के बाद सोरेन को 28 जून को जेल से रिहा कर दिया गया। चंपई सोरेन ने 3 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अगले दिन यानी 4 जुलाई को हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए। नई सरकार में चंपई को कैबिनेट मंत्री के रूप में जल संसाधन, उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे विभागों की जिम्मेदारी मिली।