नई दिल्ली l हिंदू मान्यताओं के अनुसार अगर घर में किसी की मौत हो जाए तो 13 दिन तक गरुड़ पुराण का पाठ होता है। क्या आपको पता है कि आखिर गरुड़ पुराण में क्या है? उसका क्या महत्व है? किसी की मृत्यु के बाद ही गरुड़ पुराण क्यों पढ़ा जाता है? क्या कोई व्यक्ति जीते जी गरुड़ पुराण पढ़ ले तो क्या होगा?
क्या है गरुड़ पुराण?
हिंदू धर्म में 18 महापुराण हैं। गरुड़ पुराण इनमें से एक है। इसके रचतिया भगवान विष्णु को माना जाता है। मान्यता है कि मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ करने से आत्मा को सद्गति मिलती है। गरुड़ पुराण में 19 हजार से ज्यादा श्लोक हैं। हालांकि मौजूदा समय में उपलब्ध पांडुलिपियों में आठ हजार श्लोक ही उपलब्ध हैं।
गरुड़ पुराण में क्या है?
गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है। एक बार गरुड़ ने विष्णु से पूछा कि मृत्यु के बाद जीवों का क्या होता है, वे कैसे यमलोक तक पहुंचते हैं, स्वर्ग या नर्क की गति कैसे होती है। तब भगवान विष्णु ने मृत्यु के बाद के रहस्यों से जुड़े सवालों का जवाब गरुड़ को दिया। उसी का जिक्र गरुड़ पुराण में किया गया है?
गरुड़ पुराण को दो भागों में बांटा गया है। पहला भाग पूर्वखंड कहलाता है। गरुड़ पुराण की अधिकतम सामग्री इसी खंड में है। इसमें पूजन, आराधना, उपचार, ज्ञान, वैराग्य से संबंधित जानकारी है। वहीं, दूसरा भाग उत्तरखंड कहलाता है। इसे प्रेतकल्प भी कहते हैं। इस भाग में मृत्यु, यमलोक से जुड़ी जानकारी है। मरणासन्न व्यक्ति और मरने के बाद किए जाने वाले कामों का उल्लेख है।
मृत्यु के बाद ही क्यों पढ़ा जाता है गरुड़ पुराण?
हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के पाठ की परंपरा है। अगर किसी की अकाल मौत होती है तो उसकी आत्मा भटकती रहती है। उसे सद्गति देने के लिए घर में गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। वैसे तो गरुड़ पुराण को कभी भी पढ़ सकते हैं, क्योंकि इसमें सिर्फ मृत्यु ही नहीं, जीवन को उत्तम बनाने के रहस्य भी छिपे हुए हैं। मगर इसे मृत्यु के बाद पढ़ने की एक परंपरा बन गई है। लोग इसलिए भी आम दिनों में गरुड़ पुराण का पाठ नहीं करते, क्योंकि माना जाता है कि इसे पढ़ने के दौरान आत्मा खुद वहां मौजूद रहती है।