नई दिल्ली: 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराई. करीब एक महीने बाद अब 14 फरवरी को पीएम मोदी अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं. मुस्लिम देश में बने इस भव्य मंदिर के लिए 27 एकड़ जमीन यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान ने लीज पर दी. पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन में इस बात का जिक्र किया कि कैसे उनके एक बार के अनुरोध पर यूएई के राष्ट्रपति ने मंदिर के लिए जगह दे दी. बीते कुछ सालों में जिस तरह से यूएई के साथ भारत के संबंध मजबूत हुए है, वो मोदी सरकार की मजबूत कूटनीतिक का नतीजा है. दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत करने में मोदी सरकार ने कोई कसर भी नहीं छोड़ी है. खासकर इस्लामिक देशों के बीच भारत की पकड़ तेजी से मजबूत हो रही है.
भारत और यूएई के रिश्ते
बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार यूएई का दौरा अगस्त 2015 में किया था. 34 साल पहले 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यूएई की यात्रा की थी. इसके बाद से वो 7 बार यूएई का दौरा कर चुके हैं. मोदी के शासनकाल में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) अरब देशों में भारत का एक मजबूत और भरोसेमंद साथी बनकर उभरा है. दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए है. व्यापार दोनों देशों की दोस्ती का मजबूत स्तंभ है. कूटनीतिक के साथ यूएई के साथ दोस्ती का सबसे प्रमुख स्तंभ द्विपक्षीय व्यापार है.
भारत का तीसरा सबसे बड़ा साझेदार
भारत और UAE के व्यापारिक रिश्ते कितने मजबूत हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका और चीन के बाद यूएई ही भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है. अगर आंकड़ों में देखें तो वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और यूएई के बीच व्यापार करीब 85 अरब डॉलर तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2012-22 में द्विपक्षीय व्यापार 72.9 अरब डॉलर रहा था. दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों को मजबूत करने में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) की बड़ी भूमिका रही. साल 2027 तक इसके 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है.
भारत के लिए क्यों जरूरी है यूएई
भारत के लिए यूएई का अपना महत्व है. निर्यात के अलावा निवेश के लिए यूएई जरूरी है. यूएई भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक है, इस समय भारत में UAE का निवेश 3 अरब डॉलर से भी ज्यादा का है. वित्त वर्ष 2002-21 में भारत में उसका निवेश 1.03 अरब डॉलर था. यूएई ने भारत की तेज रफ्तार से बढ़ रही इकोनॉमी पर भरोसा जताते हुए अपने निवेश को तीन गुना बढ़ा दिया. निवेश के बाद अगर निर्यात की बात करें तो भारत के निर्यात के मामले में यूएई दूसरे नंबर पर है. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान यूएई से निर्यात 31.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया. कच्चे तेल के लिए भारत की निर्भरता यूएई पर है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से यूएई की हिस्सेदारी 10 फीसदी के आसपास है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत को क्रूड ऑयल इंपोर्ट करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश यूएई था.
UAE के लिए क्यों जरूरी है भारत
भारत यूएई को पेट्रोलियम उत्पाद, महंगे मेटल्स, पत्थर, जूलरी, खनीज, खाने-पीने की चीजें, कपड़े, इंजीनियरिंग और मशीनरी प्रोडक्ट भेजता है. वहीं यूएई के लिए भारत का खास महत्व है. तेल पर अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता को कम करने के लिए यूएई दुनियाभर में निवेश के नए ठिकानों की तलाश कर रहा है. वो अपनी मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर,फूड बिजनेस, ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट कारोबार, ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना चाहता है. इसके लिए भारत सबसे भरोसेमंद पार्टनर है. भारत में निवेश के साथ-साथ उसकी दक्षता का भी लाभ उठाना चाहता है. पश्चिमी देशों के महंगे एक्सपर्ट के बजाए वो भारतीय पेशेवरों और तकनीकी जानकारों को तव्वजों देता है. यूएई की 1 करोड़ की अबाजी में 35 लाख से अधिक भारतीय हैं, जो वहां की इकोनॉमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये भारतीय वहीं के हर सेक्टर में काम कर रहे हैं. वहां की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करते हैं.
भारत-यूएई संबंधों से चीन की बढ़ती तिलमिलाहट
भारत और यूएई के बीच मजबूत हो रहे रिश्तों से सबसे ज्यादा तिलमिलाहट चीन को मची है. चीन मुस्लिम देशों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश में लगा हुआ है. उसकी इस कोशिश को भारत ने झटका दिया है. जिस तरह से मुस्लिम देशों में भारत की पकड़ मजबूत हो रही है, उनके साथ कारोबारी रिश्ते मजबूत हो रहे हैं, लगातार निवेश बढ़ रहा है, उसने चीन की टेंशन को बढ़ा दिया है. भारत की बढ़ती इकोनॉमी भी मुस्लिम देशों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. भारत में उनका निवेश बढ़ रहा है. ऐसे में चीन की चिंता बढ़ रही है. चीन जहां अपनी गिरती इकोनॉमी को संभालने के लिए दूसरे देशों से निवेश हासिल करे की कोशिश कर रहा है. गिरती इकनॉमी में जान फूंकने के लिए विदेशी निवेश की उम्मीद कर रहा है, उसकी इस उम्मीद को दोस्त माने जाने वाले देश यूएई ने ही झटका दे दिया. संयुक्त अरब अमीरात सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, जो चीन के माथे पर पसीना लाने के लिए काफी है.