नई दिल्ली। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा गुरुवार को भारत आ रहे हैं. ये उनकी पहली भारत यात्रा है. दो साल से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन जंग का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के प्रयासों के बीच उनकी यह यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उनकी यात्रा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निमंत्रण पर हो रही है.
अपनी आगामी भारत यात्रा पर दिमित्रो कुलेबा ने कहा, …यह भारत की मेरी पहली यात्रा होगी, यह 7 वर्षों में किसी यूक्रेनी विदेश मंत्री की भारत की पहली यात्रा होगी. इस यात्रा का उद्देश्य भारत को यूक्रेन-भारत संबंध को मज़बूत बनाना है. उन्होंने कहा, यूक्रेन भारत को एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय आवाज के साथ एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है. हमें विश्वास है कि घनिष्ठ सहयोग से दोनों देशों को लाभ होगा.
भारत के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यात्रा के दौरान, कुलेबा परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर द्विपक्षीय साझेदारी और सहयोग से संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ आधिकारिक बैठकों सहित कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे. इसके अनुसार उनके व्यापारिक समुदाय के साथ भी वार्ता करने की भी उम्मीद है.
यूक्रेन के विदेश मंत्री ने 25 मार्च को एक्स पर एक वीडिया पोस्ट किया था और कहा था कि वह भारत की अपनी पहली यात्रा करेंगे. उन्होंने वीडियो में यह भी कहा था, मेरी यात्रा से हमारे रिश्ते और मजबूत होंगे. यूक्रेन और भारत को दो बड़े लोकतंत्र बताते हुए कुलेबा ने कहा था, मुझे विश्वास है कि हम अच्छे साझेदार और दोस्त बनने के लिए तैयार हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 मार्च को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ अलग-अलग बातचीत की थी. उन्होंने कहा था कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति ही आगे का रास्ता है. पीएम मोदी ने हाल के चुनावों में पांचवीं बार जीत हासिल करने के लिए पुतिन को बधाई देने के लिए फोन कॉल पर बात की थी. इसके बाद उन्होंने ज़ेलेंस्की को फोन करके शांति के लिए सभी प्रयासों और शीघ्र समाधान के लिए भारत के निरंतर समर्थन से अवगत कराया था.
जंग के पक्ष में नहीं रहा है भारत
यूक्रेन इस बार को लेकर अवगत है कि भारत जंग के पक्ष में नहीं है. रूस और यूक्रेन जंग में भारत न्यूट्रल रहा है. इस पूरी जंग के बाद से भारत के संबंध रूस और यूक्रेन के साथ उतने ही मजबूत रहे हैं जितने पहले थे. यूक्रेन जानता है कि जंग रुकवाने में भारत का बड़ा रोल हो सकता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भारत से पीसमेकर का रोल निभाने की मांग भी कर चुके हैं.