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Home कला संस्कृति

सबसे पहले क्यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
10/09/23
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन
सबसे पहले क्यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

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हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक गणेश चतुर्थी में कुछ ही समय बाकी रह गया है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस साल ये तिथि 19 सितंबर को पड़ रही है. इसी के साथ 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव भी शुरू हो जाएगा जो अनंत चतुर्दशी को समाप्त होगा. गणेश उत्सव के दौरान बप्पा की प्रतिमा घरों में स्थापित की जाती है और 10 दिनों तक पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन 10 दिनों तक गणपति धरती पर रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं.

बप्पा की भक्ति में लीन भक्त उनके स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं और 10 दिनों तक धूमधाम से गणेश उत्सव मनाते हैं. महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की खास धूम देखने को मिलती है. यहां बड़े बड़े पंडाल लगाए जाते हैं और भक्त दूर-दूर से बप्पा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता का स्थान प्राप्त है. भगवान गणेश के आशीर्वाद के बिना कोई शुभ कार्य पूरा नहीं माना जाता. भगवान गणेश, ज्ञान, बुद्धि और सुख समृद्धि के देवता माने जाते हैं. इनके आशीर्वाद से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख समृद्धि आती है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणपति बप्पा का ही ध्यान किया जाता है. लेकिन इसकी वजह क्या है. भगवान शिव और माता पार्वती के लाड़ले पुत्र बप्पा को प्रथम पूज्य देवता का स्थान क्यों प्राप्त है, आइए जानते हैं.

दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं. कहा जाता है कि एक बार सभी देवताओं में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि सबसे प्रथम पूज्य देवता किसको बनाया जाए. सभी देवता खुद सर्वश्रेष्ट बताने लगे. नारदजी ने जब देखा कि विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा, तो उन्होंने इस समस्या का हल निकालने के लिए भगवान शिव की शरण में जाने की सलाह दी. सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे तो उन्होंने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक योजना सोची. उन्होंने सभी देवताओं से कहा कि जो भी अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाकर सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा, धरती पर उसकी ही सर्व प्रथम पूजा की जाएगी.

भगवान गणेश ने लगाई माता पिता की परिक्रमा

इतना सुनते ही सभी देवता अपने वाहन पर बैठकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल पड़े. इस रेस में भगवान गणेश भी शामिल थे. लेकिन उन्होंने ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के बजाय अपने माता पिता यानी भगवान शिव और माता पार्वती की 7 बार परिक्रमा की और हाथ जोड़कर खड़े हो गए. सभी देवता ब्रह्मांड के चक्कर लगाकर भगवान शिव के पास पहुंचे तो गणेशजी को वहां खड़ा पाया. इसके बाद शिवजी ने गणेशजी को विजेता घोषित कर दिया.

ये देखकर सभी देवता आश्चर्यचकित हो गए कि ब्रह्मांड का चक्कर लगावर वह आए तो गणेश जी को विजेता घोषिक क्यों किया गया. इस पर भगवान शिव ने समझाया कि पूरे ब्रह्मांड में भगवान शिव का स्थान सर्वोपरि है और गणेश जी ने अपने माता पिता की 7 बार परिक्रमा की है. ऐसे में भगवान गणेश को विजयी घोषित किया गया है. सभी देवताओं ने भगवान शिव के इस निर्णय से सहमती जताई जिसके बाद भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता का स्थान प्राप्त हुआ.

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