नई दिल्ली : राजनीतिक लिहाज से छह रीजन में बंटे मध्य प्रदेश का एक रीजन है महाकौशल. सूबे की सत्ता के लिए चुनावी जंग में ये रीजन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस, दोनों ही दलों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है. महत्वपूर्ण सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि ये पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गृह रीजन है. महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि ये रीजन आदिवासी मतदाताओं की बहुलता वाला क्षेत्र है.
मध्य प्रदेश की सियासत में एक कहावत कही जाने लगी है- जिसके साथ महाकौशल, भोपाल की गद्दी उसी की. पिछले चुनाव के आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं. साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने महाकौशल की 38 विधानसभा सीटों में से 24 सीटें जीती थीं. महाकौशल में दमदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.
हालांकि, वह बहुमत के लिए जरूरी 116 सीट के जादुई आंकड़े से दो सीट पीछे रह गई थी. तब सत्ताधारी दल के रूप में चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी 109 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही थी. मामूली ही सही, सीटों के लिहाज से कांग्रेस को बीजेपी पर बढ़त मिली तो इसके पीछे महाकौशल के इस प्रदर्शन को प्रमुख वजह बताया गया. बीजेपी ने इसबार पिछले परिणाम से सबक लेते हुए इस बार पूरी ताकत झोंक दी है.
महाकौशल में ये जिले
मध्य प्रदेश को छह रीजन में बांटा गया है- महाकौशल, ग्वालियर-चंबल, मध्य भारत, मालवा निमाड़, विंध्य और बुंदेलखंड. हर रीजन की अपनी विशेषता है, अपना सियासी मिजाज और अपना राजनीतिक महत्व है. महाकौशल रीजन की बात करें तो इसके तहत आठ जिले आते हैं. जबलपुर, छिंदवाड़ा, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, मांडला, डिंडौरी और बालाघाट जिले इस रीजन में आते हैं.
महाकौशल की 38 में से 13 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. 2018 में इन 13 आरक्षित सीटों में से 11 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी. आरक्षित सीटों के अलावा अन्य सीटों पर भी आदिवासी मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है और करीब आधा दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां जीत-हार तय करने में ये निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
पूर्व सीएम और कांग्रेस के चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे कमलनाथ महाकौशल रीजन की ही छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. वहीं बीजेपी भी महाकौशल की जंग जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है.
महाकौशल के लिए बीजेपी की खास रणनीति
बीजेपी ने मध्य प्रदेश के चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों को उम्मीदवार बनाया है- नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल. इन तीन में से दो केंद्रीय मंत्रियों फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल को महाकौशल रीजन की विधानसभा सीटों से ही मैदान में उतारा गया है. दो केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही इस रीजन से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह समेत दो सांसद भी चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस के लिए महाकौशल का महत्व इस बात से भी पता चलता है कि पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने सूबे में चुनाव प्रचार के आगाज के लिए भी इसी रीजन के जबलपुर शहर को चुना. इस रीजन में बीजेपी के प्रचार अभियान के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा ही नजर आ रहा है.
महाकौशल में किन मुद्दों पर हो रही बात?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक महाकौशल रीजन में इस बार सनातन धर्म से लेकर विकास तक के मुद्दे हावी नजर आ रहे हैं. जबलपुर के मतदाताओं का कहना है कि शहर कभी विकास के मामले में रायपुर और नागपुर से आगे माना जाता था, अब हालत ये है कि भोपाल और इंदौर भी हमसे काफी आगे निकल चुके हैं. उद्योग और व्यापार जगत से जुड़े लोग भी विकास और बुनियादी सुविधाओं के अभाव की बात कह रहे हैं.