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Home कला संस्कृति

क्यों मनाया जाता है पितृ पक्ष, जानें इसका महत्व और श्राद्ध की विधि

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
26/09/23
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन
क्यों मनाया जाता है पितृ पक्ष, जानें इसका महत्व और श्राद्ध की विधि

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पितृ पक्ष या श्राद्ध, हिंदू समाज में पूर्वजों की याद में मनाया जाता है. इसका शुरूवात  29 सितंबर, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो रहा है. और 14 अक्टूबर, को कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं, तक चलेगा. वैसे तो पितृ पक्ष सितंबर महीने में समाप्त होता है, लेकिन इस साल वह अक्टूबर महीने में समाप्त होगा. पहले सालों के तुलना में इस वर्ष पितृ पक्ष में 15 दिन की देरी हुई है क्योंकि अधिक मास के कारण सावन माह दो महीने का था.

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना महत्वपूर्ण है. पौराणिक मान्यता अनुसार, हमारी पिछली तीन पीढ़ियों की आत्माएं स्वर्ग और पृथ्वी के बीच स्थित ‘पितृ लोक’ में रहती हैं. पितृलोक में अंतिम तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध किया जाता है. इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं. मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध न करने से पितृदोष लगता है.

श्राद्ध की विधि

शास्त्रों में श्राद्ध के लिए गया शहर का विशेष महत्व है. इस दौरान पितरों को तृप्त करने के लिए पिंडदान और ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है. गया जैसे पवित्र स्थल पर यह अधिक प्रमुखता से किया जाता है. हालांकि, घर में श्राद्ध करने की भी प्रक्रिया है, इसके लिए सूर्योदय से पहले स्नान करके, साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद श्राद्ध करें और फिर दान करना चाहिए. इस दिन गाय, कौआ, कुत्ता और चींटी को भी खाना खिलाना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होता है. पितृ पक्ष न केवल हमारी पूर्वजों की याद को जिंदा रखने का समय है, बल्कि यह हमें अपने धार्मिक कर्तव्यों की पूर्ति करने का अवसर भी प्रदान करता है.

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