इंद्रजीत मलोदिया की रिपोर्ट
भोपाल। आयातित कोई भी चीज हो शुरूआत में दिक्कत तो देती ही है…बिल्कुल इसी तरह की दिक्कत मध्यप्रदेश में भाजपाइयों को हो रही है…कांग्रेस से आए सिंधिया समर्थक आयातित नेताओं के सहारे मध्यप्रदेश में भाजपा ने सरकार तो बना ली, लेकिन अब यही आयातित नेता मध्यप्रदेश के 22 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपाईयों के लिए कड़वी गोली बन गए हैं…और इनकी वजह से भाजपा नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य अंधकार में दिखाई देने लगा है।
दरअसल, सिंधिया समर्थक 22 कांग्रेस विधायकों के सहारे भाजपा सत्ता में काबिज हो गई, लेकिन इन्हीं की वजह से 24 विधानसभा सीटों में से आगर और डबरा को छोडक़र 22 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के समीकरण गड़बड़ा रहे हैं। इन 22 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के बागियों को भाजपा के टिकट पर उपचुनाव के मैदान में उतारे जाने से यह स्थितियां बनी हैं। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार आयातित नेताओं की वजह से भाजपा के वे नेता ज्यादा परेशान हैं, जो या तो उपचुनाव में टिकट के दावेदार हैं या फिर शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद के दावेदार हैं। यही नहीं, इन नेताओं की वजह से इन्हें अपने राजनीतिक भविष्य में अंधकार के बादल मंडराते दिखाई देने लगे हैं।
ग्वालियर की लश्कर पूर्व की सीट पर मुन्नालाल गोयल के आने से भाजपा की कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री माया सिंह और उनके बेटे पीतांबर सिंह को राजनीतिक भविष्य चौपट होने की चिंता सताने लगी है। इसी दुश्चिंता में भाजपा के कद्दावर नेता सतीश सिकरवार भी हैं। गोयल से पिछले चुनाव में हार गए सतीश सिकरवार ही नहीं उनके चचेरे भाई और सुमावली के पूर्व विधायक नीटू सिकरवार परेशान हैं। उन्होंने अपने भाई के लिए ही सुमावली सीट छोड़ी थी, लेकिन अब वहां से दिग्विजय सिंह के समर्थक रहे ऐंदल सिंह कंसाना उपचुनाव में ताल ठोंकने के लिए तैयार हैं। इसी तरह मुरैना से रघुराज कंसाना की वजह से रुस्तम सिंह की राजनीति पर काली छाया पड़ती दिख रही है। कांग्रेस के इन दो बागी नेताओं के पहले रुस्तम सिंह ही भाजपा के लिए गुर्जर वोटर्स में बड़ा चेहरा हुआ करते थे।
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से प्रद्युम्न सिंह तोमर की एंट्री से भाजपा के फायर ब्रांड नेता जयभान सिंह पवैया का राजनीतिक भविष्य में खतरे में पड़ गया है। कहा जाता है कि पवैया की राजनीति महल के विरोध पर टिकी रही है। अब उन्हें सिंधिया से समझौता करना पड़ सकता है। जौरा सीट कांग्रेसी विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी। इस सीट पर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया बनवारीलाल के बेटे को टिकट दिलाने का वचन दे चुके हैं। जौरा सीट केवल 2013 में पहली बार भाजपा के खाते में गर्ई थी और सूबेदार सिंह विधायक बने थे। इसी तरह दिमनी से गिरीराज दंडोतिया के भाजपा का दामन थामने से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे रामू तोमर के साथ ही रवींद्र सिंह तोमर तथा शिवमंगल सिंह तोमर की राजनीति खतरे में पड़ती दिखाई देने लगी है। अंबाह में कमलेश जाटव की वजह से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार कमलेश सुमन, गोहद में रणवीर जाटव की वजह से भाजपा का बड़ा दलित चेहरा और पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य और मेहगांव में ओपीएस भदौरिया की भाजपा में एंट्री से भाजपा नेता राकेश शुक्ल तथा मुकेश चतुर्वेदी की सियासत पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कहते हैं कि राकेश और मुकेश का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है।
कौन-कहां संकट में
- हाट पीपल्या-इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस के बागी मनोज चौधरी के भाजपा में आने से दीपक जोशी, राय सिंह सेंधव और बहादुर मुकाती की राजनीति संकट में है।
- सांवेर-इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के बागी और शिवराज सरकार में मंत्री तुलसी सिलावट की वजह से पूर्व मंत्री प्रकाश सोनकर के बेटे सावन सोनकर संकट में हैं। प्रकाश सोनकर के भतीजे और पूर्वविधायक राजेश सोनकर को इंदौर ग्रामीण का अध्यक्ष सिलावट की राह आसान करने के लिए ही बनाया है।
- बदनावर- इस सीट पर कांग्रेस के बागी राजवर्धन सिंह के भाजपा में शामिल होने से भाजपा के कद्दावर नेता भंवरङ्क्षसह शेखावत, राजेश अग्रवाल और हेेमराज पाटीदार संकट में हैं।
- सुवासरा- इस विधानसभा क्षेत्र में हरदीप सिंह डंग के कारण भाजपा के नेता राधेश्याम पाटीदार परेशान हैं।
- सांची- यहां कांग्रेस के बागी प्रभुराम चौधरी की वजह से डॉ. गौरीशंकर शेजवार और मुदित शेजवार की राजनीति पर खतरा मंडरा रहा है।
- सुरखी- इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के बागी गोविंद सिंह राजपूत के भाजपा में शामिल होने और फिर शिवराज सरकार में मंत्री बनने से भाजपा की कद्दावर नेता पारूल साहू और राजेंद्र सिंह मोरकल बेजा परेशान हैं।
यहां भी भाजपाई हैं परेशान
इसी तरह से पोहरी विधानसभा क्षेत्र में सुरेश धाकड़ के कारण नरेंद्र बिरथरे और प्रहलाद भारती, मुंगावली में ब्रजेंद्र यादव की वजह से बाईसाब यादव, भांडेर में राजकुमार खटीक और राजेन्द्र खटीक, अशेाक नगर में जसपाल जज्जी की वजह से लड्डूराम कोरी मुश्किल में हैं। कोरी ने तो जज्जी के खिलाफ हाईकोर्ट में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का केस चला रखा है। इसी तरह बमौरी में महेंद्र ङ्क्षसह सिसोदिया के कारण ब्रजमोहन किरार के साथ केएल अग्रवाल की सियासत पर संकट के बादल है तो भांडरे में यही हाल डॉ. कमलापत आर्य रामदयाल प्रभाकर और घनश्याम पुरेनिया के हैं।