नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के दल बदलने का खेल जारी है. कोई कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जा रहा है तो कोई बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम रहा है. मगर हाल के समय में देखे तो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में जाने वालों की संख्या थोड़ी ज्यादा है. कांग्रेस को लगातार एक के बाद एक झटका लग रहा है. हाल ही में तीन नेताओं ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला लिया.
इन नेताओं में बॉक्सर विजेंदर सिंह, गौरव वल्लभ और संजय निरुपम शामिल हैं. ये वही नेता हैं जो दो दिन पहले तक मोदी सरकार पर हमलावर थे लेकिन बीजेपी में शामिल होते ही इनके सुर बदल गए. मगर सवाल यह है कि क्या इन नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है? तो जान लीजिए ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. क्यों नहीं है…तो चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
सबसे पहली बात तो यह है कि इन नेताओं का कोई बड़ा जनाधार नहीं है. कांग्रेस में रहकर भी ये पार्टी के लिए उतने खास नहीं थे. मगर थे तो थे. पिछले चुनावों में भी इनका कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा था. तीनों नेता तीन अलग-अलग राज्यों से आते हैं. विजेंदर जहां हरियाणा से तो गौरव वल्लभ राजस्थान तो वहीं निरुपम महाराष्ट्र से आते हैं. तीनों नेताओं को पिछले कुछ चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है.
बॉक्सर विजेंदर सिंह..सियासी जनाधार नहीं
सबसे पहले बात करते हैं बॉक्सर विजेंदर सिंह की. विजेंदर को पिछले लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी. कांग्रेस ने साल 2019 में दक्षिणी दिल्ली सीट से चुनावी मैदान में उतारा था लेकिन बीजेपी के रमेश विधूड़ी ने पटखनी दी थी. बता दें कि विजेंदर का सियासी कद उतना बड़ा नहीं रहा है. 2019 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी. इस साल उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा, जहां उन्हें हार मिली.
इस हार के बाद कुछ दिनों तक वह राजनीति से दूर हो गए. पिछले साल ये भी खबर थी कि वो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. मगर ऐसा हुआ नहीं. हालांकि, इस दौरान वो मोदी सरकार पर लगातार हमलावर रहे. कुछ दिनों पहले तक ये खबर थी कांग्रेस उन्हे मथुरा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है लेकिन इससे पहले विजेंदर ने कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ दिया.
गौरव वल्लभ…कांग्रेस के लिए नहीं कुछ कर पाए खास
अब बात करते हैं गौरव वल्लभ की. गौरव वल्लभ एक प्रवक्ता के अलावा कुछ भी नहीं थे. जनता के बीच उनकी वैसी कोई लोकप्रियता नहीं रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में गौरव वल्लभ उदयपुर से चुनाव लड़े थे. मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के ताराचंद जैन ने गौरव वल्लभ को 32,771 हजार वोटों से हराया था. ताराचंद को 97,466 यानी 59 फीसदी वोट मिले थे जबकि गौरव वल्लभ को 39 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. कभी कांग्रेस न छोड़ने की बात करने वाले गौरव वल्लभ की गिनती कांग्रेस के बड़े प्रवक्ताओं में थीं. मगर उन्होंने सनातन और राम मंदिर के मुद्दे को आधार बनाकर कांग्रेस पार्टी छोड़ दी.
संजय निरुपम…लगातार दो लोकसभा चुनावों में मिली हार
वहीं, अगर संजय निरुपम की बात करें तो उन्होंने भी कांग्रेस के लिए कुछ खास नहीं कर पाए. संजय निरुपम ने साल 2009 में मुंबई उत्तर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. इसके बाद अगले दो लोकसभा चुनावों में उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 2014 के लोकसभा चुनाव में मुंबई की उत्तर-पश्चिम सीट पर बीजेपी के गोपाल शेट्टी ने संजय निरुपम को हराया था.
वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें करारी हार मिली. यहां शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने उन्हें हराया था. बता दें कि ये वहीं संजय निरुपम हैं, जिन्होंने पीएम मोदी की जमकर आलोचना की थी. हाल ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था. मगर उनका दावा है कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को पहले ही अपना इस्तीफा भेज दिया था.