नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आखिर बिहार की राजनीति में क्या होने जा रहा है? इस बदलाव के पीछे की क्या कहानी है? इसका लोकसभा चुनाव पर क्या असर होगा? नीतीश कुमार की राजनीति का भविष्य क्या है? इन्हीं सवालों पर इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, राहुल महाजन, समीर चौगांवकर, अवधेश कुमार, प्रेम कुमार और राखी बख्शी मौजूद रहे।
क्या एक बार फिर से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे?
विनोद अग्निहोत्री: नीतीश कुमार शोध का विषय हैं। 1977 में चौधरी चरण सिंह ने कर्पूरी ठाकुर की लिस्ट से अलग नाम जोड़कर नीतीश कुमार को टिकट दिया था। लहर के बाद भी नीतीश चुनाव हार गए। बाद में अटल जी के साथ गए। फिर मुख्यमंत्री भी बने। 2013 में उन्होंने अपना रास्ता बदला। नीतीश कुमार ‘सेक्युलर’ हो गए। अकेले चुनाव लड़ा तो उनके सिर्फ दो सांसद जीतकर आए। इसके बाद वे लालू के साथ गए और बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आए। उसके बाद भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर फिर से भाजपा के साथ चले गए। उसके बाद फिर लालू के साथ गए। अब भाजपा के साथ जाने की अटकलें हैं। भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार ने कभी भी विचारों की राजनीति नहीं की। उन्होंने अपनी सत्ता और अपने पार्टी हित के हिसाब से राजनीति की है।