नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी का बैग पैक हो चुका होगा और अमेरिका यात्रा से पहले की तमाम तैयारियां करीब करीब पूरी हो चुकी होंगी। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी इससे पहले पांच बार अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन ये यात्रा ऐतिहासिक कही जा रही है और एक्सपर्ट्स का मानना है, कि पीएम मोदी की अमेरिका की ये राजकीय यात्रा, दोनों देशों के संबंधों के लिए गेमचेंजर साबित होने वाला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रथम महिला जिल बाइडेन के निमंत्रण पर पीएम मोदी 20 जून को अमेरिका के लिए रवाना होंगे। प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से शुरू होगी, जहां वह 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व करेंगे। इसके बाद मोदी राजकीय यात्रा पर अगले दिन वाशिंगटन जाएंगे। भारतीय नेता 22 जून को कांग्रेस के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे।
आधिकारिक व्यस्तताओं के अलावा, पीएम मोदी अमेरिका के सीईओ, प्रोफेशनल्स और अन्य हितधारकों के साथ कई क्यूरेटेड बातचीत करने वाले हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा है, कि वह प्रवासी भारतीयों के सदस्यों से भी मिलेंगे।
पीएम मोदी अमेरिकी यात्रा खत्म करने के बाद में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी के निमंत्रण पर मिस्र की यात्रा के लिए काहिरा निकलेंगे। जनवरी में पीएम मोदी को निमंत्रण दिया गया था, जब राष्ट्रपति सिसी गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की ये कोई पहली यात्रा नहीं है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से, उन्होंने पांच बार अमेरिका का दौरा किया है और इस दौरान अमेरिका में तीन राष्ट्रपति हुए हैं। बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प और जो बाइडेन ने अलग अलग वक्त पर अमेरिका में प्रधानमनंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया है। लेकिन, इस यात्रा को कौन सी बात विशेष महत्वपूर्ण बनाता है, आइये जानते हैं?
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नवंबर 2009 में मनमोहन सिंह के बाद, यह पहली बार है, कि किसी भारतीय नेता को संयुक्त राज्य अमेरिका की राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया है। अमेरिका की राजकीय यात्रा करना एक दुर्लभ राजनयिक यात्रा होती है और इसे किसी भी नेता के लिए दुर्लभ और प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। लिहाजा, राजकीय यात्रा को मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की अभिव्यक्ति के उच्चतम रूप के रूप में देखा जाता है।
अमेरिका की कूटनीतिक नीति के मुताबिक, राष्ट्रपति हर चार साल में किसी भी देश के एक ज्यादा नेताओं की मेजबानी नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, राजकीय यात्रा को आधिकारिक यात्रा, आधिकारिक कार्य यात्रा या सरकारी यात्रा के अतिथि की तुलना में, सर्वोच्च रैंक वाली यात्रा माना जाता है।
मोदी की अमेरिका की पिछली यात्राओं को राजकीय यात्रा का नाम नहीं दिया गया था। उनकी 2014 की यात्रा, प्रधान मंत्री के रूप में उनकी पहली, एक कामकाजी यात्रा के रूप में तय किया गया था। उनकी 2016 की यात्रा, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी तीसरी द्विपक्षीय यात्रा को वर्किंग लंच कहा गया था।
उसके अगले वर्ष, मोदी ने एक बार फिर वाशिंगटन की यात्रा की थी, जिसे आधिकारिक कार्य यात्रा नाम दिया गया था। उनकी 2019 की यात्रा को अमेरिकी राज्य विभाग ने आधिकारिक कार्य यात्रा बताया, जिसमें उन्होंने “ह्यूस्टन, टेक्सास में एक रैली में भाग लिया था”।
लेकिन इस बार, पीएम मोदी की यात्रा, एक राजकीय यात्रा है जिसमें बाइडेन प्रशासन रेड कार्पेट बिछा रहा है और कई आयोजनों के लिए प्रधानमंत्री के साथ रहने के लिए व्यक्तिगत गर्मजोशी का स्पर्श बढ़ा रहा है। कहा गया है, कि जो बाइडेन और जिल बाइडेन आधिकारिक राजकीय रात्रिभोज से एक दिन पहले पीएम मोदी के निजी रात्रिभोज की मेजबानी कर रहे हैं।
इसके अलावा, प्रथम महिला जिल बाइडेन भी एक कौशल कार्यक्रम के लिए पीएम मोदी के साथ हिस्सा लेंगी। राष्ट्रपति बाइडेन और पीएम एक टेक्नोलॉजी इवेंट के लिए भी एक साथ होंगे।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, कि पीएम मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा “उच्चतम स्तर के सम्मान” का प्रतीक है और यह भारत के इतिहास में केवल दो बार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा, कि पीएम मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे और ऐसा दो बार करने वाले वो पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2016 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था।
बाइडेन के तीसरे अंतरराष्ट्रीय मेहमान
राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन ने इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो को पिछले साल दिसंबर में और इस साल अप्रैल में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल को अमेरिका की राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति से पहले पीएम मोदी को न्योता भेजा गया था, लेकिन व्यस्तताओं की वजह से पीएम मोदी का दौरा अप्रैल महीने में तय नहीं हो पाया था।
इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी को व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में 21 तोपों की सलामी भी दी जाएगी।
मोदी को अमेरिका की राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया जाना, न केवल दोनों नेताओं बल्कि दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों को भी दर्शाता है। अमेरिका, अब भारत को एक मूल्यवान सहयोगी के रूप में देखता है, वो भी न केवल भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी।
अमेरिका ने चीन की पहचान प्रतिस्पर्धी और प्रतिद्वंद्वी के रूप में की है। इसलिए अमेरिका को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भारत की जरूरत है। हाल के महीनों में, बाइडेन एशिया के देशों, दक्षिण कोरिया के यून सुक येओल, फिलीपींस के फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर से मुलाकात की है। इस लिहाज से देखा जाए, तो अमेरिका को चीन के जवाब के रूप में भारत की आवश्यकता है और इसलिए, राजकीय यात्रा काफी महत्व रखती है।
इसके अलावा, अमेरिका को भारत से प्रतिभा की जरूरत है। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 200,000 भारतीय छात्र हैं, और भारतीय अमेरिकी तेजी से बहुत, बहुत महत्वपूर्ण रफ्तार के साथ आगे बढ़े हैं। इसके अलावा, अमेरिका की राजनीति में भारतीय मूल के नेता काफी तेजी से आगे बढ़े हैं और इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं, कि 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारतीय मूल के दो नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है।
यह यात्रा भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे दो प्रमुख रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है – एक प्रीडेटर ड्रोन के लिए और दूसरा लड़ाकू जेट इंजनों का भारत में सह-उत्पादन करने के लिए। लिहाजा, भारत के रक्षा उद्योग के लिए ये एक युग बदलने वाला पल साबित होगा, क्योंकि कुछ सालों के बाद भारत में जेट इंजन का निर्माण होगा और उसकी टेक्नोलॉजी भारत के पास होगी और कुछ साल पहले तक, इसकी कल्पना करना भी मुश्किल था।