हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. हर महीने दो बार एकादशी आती है- पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के पापों का नाश होता है. योगिनी एकादशी इस बार 24 जून को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं योगिनी एकादशी क्यों खास होती है और इसकी पूजन विधि क्या है.
क्यों खास होती है योगिनी एकादशी
योगिनी एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इसके बाद शुभ कार्य पूरी तरह से वर्जित हो जाते हैं. इसलिए योगिनी एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण समझा जाता है. इसके अलावा, निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी जैसी महत्वपूर्ण एकादशी के बीच योगिनी एकादशी आती है. इस वजह से भी इसका महत्व काफी बढ़ जाता है.
योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
योगिनी एकादशी का व्रत शुक्रवार, 24 जून को रखा जाएगा. एकादशी तिथि गुरुवार, 23 जून को रात 09 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार, 24 जून को रात 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगी. व्रत का पारण शनिवार, 25 जून को प्रातः काल में किया जाएगा.
पूजन विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. भगवान को फल-फूल अर्पित करें और सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी आरती करें. भगवान विष्णु की अनुकंपा से जहां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा. वहीं माता लक्ष्मी की कृपा से धन के भंडार भरेंगे. आर्थिक मोर्चे पर संपन्नता बढ़ेगी.