ये संसार अब बच्चों व जानवरों जैसी निरीह चेतना वाले लोगों के लिए रहने लायक नहीं रहा, यहां केवल वही रह सकता है जिसकी चेतना चिकने घड़े से आच्छादित हो! सुबह उठते ही अखबारों के मुखपृष्ठ व सम्पादकीय पृष्ठों में देश जल रहा है। टेलीविजन के नायक वातानुकूलित स्टूडियों में बैठकर चीखती हुई आवाज में अर्धसत्यों का अन्वेषण कर रहे हैं! सोशल मीडिया में देश के खिलाफ फेक नैरेटिव रचे जा रहे हैं! फिल्मी हीरों को ये भी नहीं पता कि विरोध क्यों व किस मुद्दे पर कर रहे हैं? वो केवल विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं! पुलिस पर अत्यधिक दबाव है वो एक रस्सी पर बैलेंस बनाकर चल रही है जिसके एक तरफ कुआं व दूसरी तरफ खाई है। प्रोटेस्ट में शामिल लोंगो को ये भी नहीं पता कि जिस कानून का विरोध कर रहे हैं, उसकी फुल-फॉर्म क्या है! लेफ्ट-इस्लाम नेक्सस अराजकता फैलाकर अपनी रोटी सेंकना चाहता है। पाकिस्तान व बांग्लादेश से आये शरणार्थियों की आंसू भरी आंखों में देखने का नैतिक साहस व आत्मबल विरोध करने वालों में नही है! दो कौड़ी के लोग संविधान की मन-मर्जी व्याख्या कर रहे हैं! जिन लोगों ने किसी को बुरा न लग जाये इसलिए मंदिर की खुशी में एक दीपक तक नहीं जलाया आज उन्ही लोगों के सामने फ़क हिन्दुत्त्व के पोस्टर लहराए जा रहे हैं!
तिस पर लज्जा व लांछन की बात ये कि दुनिया के सबसे उदार, सहिष्णु व सबको समाहित करने वाले समाज से मानवीयता के प्रश्न पूछे जा रहे हैं!विश्व समुदाय में इस समाज को विलेन की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है!क्या ऐतिहासिक गलतियों व भूलों के लिए आज नियति हमें ये दंड दे रही है। गलतियों के लिए दंड तो प्रकृति का नियम है और ये तितिक्षा तो हम सबको झेलनी ही पड़ेगी! और कर ही क्या सकते हैं! अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत!
आज बार-बार बड़ी शिद्दत से दुष्यंत याद आ रहे हैं
यहां दरख़्तों के साये में धूप लगती है।
चलो यहां से चले कहीं और उम्र भर के लिए।
फ़टी हो कमीज तो पांवों से पेट ढक लेंगे।
ये लोग कितने मुनासिब है इस सफ़र के लिए।
लेखक शुभ देपावत चारण समय-समय पर समाज को जाग्रत करने वाली रचनाएं लिखते रहते हैं। शुभ देपावत चारण का संपर्क सूत्र 8307124084 है। jollyraj666@gmail.com ईमेल आईडी के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है।