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रक्षाबंधन पर ही क्यों होती है श्रवण कुमार की पूजा, जानें पीछे की कहानी

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
29/08/23
in कला संस्कृति
रक्षाबंधन पर ही क्यों होती है श्रवण कुमार की पूजा, जानें पीछे की कहानी
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नई दिल्ली: रक्षाबंधन हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है . इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ पररक्षा सूत्र बांधती है . भाई-बहन के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक रक्षाबंधन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है . इस त्योहार का उत्साह हर परिवार में देखने को मिलता है और लोग इस त्योहार की तैयारियां बहुत दिनों पहले से ही शुरू कर देते हैं .इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा – पाठ की जाती है और राखी के त्योहार को मनाया जाता है. खास बात यह है कि रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की भी पूजा की जाती है . हर सनातनी राखी के दिन पहले श्रवण कुमार की पूजा करता है और सबसे पहले उनको रक्षासूत्र अर्पित करता है . आखिर राखी के दिन क्यों होती है श्रवण कुमार की पूजा, पढ़ें इस लेख में.

रक्षाबंधन पर क्यों होती है श्रवण कुमार की पूजा?

पौराणिक कथा के मुताबिक अयोध्या के राजा दशरथ ने शुकार की तलाश में अपने माता-पिता के इकलौते बेटे श्रवण कुमार को तीर मार दिया था. श्रवण कुमार की मौत ने उनको अंदर तक झकझोर कर रख दिया. तभी उन्होंने सावन की पूर्णिमा के दिन सबसे पहले उनकी पूजा करने का प्रचार पूरे विश्व में किया. तभी से सावन की पूर्णिमा को राखी बांधने से पहले श्रवण कुमार की पूजा की जाती है.

श्रवण कुमार की पूजा के पीछे की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है की श्रावण मास के शुक्ल पूर्णिमा के दिन अयोध्या के राजा दशरथ जंगल में शिकार करने गए थे और उसी दिन नेत्रहीन माता – पिता के इकलौते पुत्र श्रवण कुमार भी उसी जंगल से पास से गुजर रहे थे तभी रात में उनके माता – पिता को प्यास लगी . श्रवण कुमार अपने माता – पिता को कभी प्यासा नहीं देख सकते थे तो वह जंगल के अंदर पानी लाने चले गए. वहीं शिकार के लिए हिरण की ताक में दशरथ जी भी छुपे थे . रात का वक्त था. जंगल में घनघोर अंधेरा था , दशरथ जी सिर्फ आवाज सुन कर निशाना लगा रहे थे तभी श्रवण कुमार की घड़े में जल भरने की आवाज आई और दशरथ जी ने उसे पशु की आवाज समझकर बाण छोड़ दिया . वह बाण श्रवण कुमार को जा कर लगी और उसकी मृत्यु हो गई .

राजा दशरथ को यह देख कर बहुत दुख हुआ . उन्होंने क्षमा मांगते हुए इस घटना के बारे में श्रवण कुमार के माता – पिता को बताया . यह सुनकर उसके माता-पिता बहुत ज्यादा दुखी हुए . तब दशरथ जी ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने के लिए श्रावणी के दिन श्रवण पूजा का पूरे विश्व में प्रचार किया और उस दिन से सभी सनातनी राखी के दिन श्रवण पूजा करते हैं .

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