नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान के मनोहरपुर प्लाजा पर लागत से ज्यादा टोल टैक्स वसूले जाने के आरोपों पर जवाब दिया है. एक न्यूज चैनल के साथ सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने इस मामले में विस्तार से समझाया कि 1900 करोड़ में बनी सड़क पर 8000 करोड़ का टोल टैक्स क्यों और कैसे वसूला गया? बातचीत के दौरान नितिन गडकरी ने उदाहरण के साथ यह समझाया कि दिल्ली-जयपुर हाई-वे पर लागत से ज्यादा टोल टैक्स कैसे हो गया.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने निर्माण लागत से ज्यादा टोल टैक्स वसूले जाने वाले सवाल का पूरा गणित बताया है. उन्होंने कहा कि लोगों से टोल टैक्स एक दिन में ही नहीं वसूले जाते. गडकरी ने कहा कि टोल टैक्स की वसूली से पहले और बाद में सरकार को कई प्रकार के खर्चे का सामना करना पड़ता है. टोल बढ़ने की एक ये वजह भी है.
बैंक से लंबा लोन पड़ता है महंगा
नितिन गडकरी ने उदाहरण देकर बताया कि मान किया कोई शख्स घर या गाड़ी 2.5 लाख रुपये में खरीदता है. अगर उस शख्स ने उसके बदले 10 साल के लिए बैंक से लोन लिया है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है. उपभोक्ता को हर माह ब्याज देना पड़ता है. उन्होंने बताया कि कई बार लोग सारे काम लोन लेकर ही कर पाते हैं. इसलिए भी देनदारी बढ़ती है और उसकी किस्त अदायगी भी.
किस हाई वे का है ये मामला?
निर्माण लागत से ज्यादा टोल वसूले जाने का ये मामला दिल्ली-जयपुर मार्ग (नेशनल हाईवे-8) का है. इसी हाईवे पर ज्यादा टोल लिया गया था. उन्होंने कहा कि इस सड़क को यूपीए सरकार ने साल 2009 में आवंटित की थी. तब इसमें 9 बैंक शामिल थे. गडकरी ने बताया कि बाद में इस रोड को बनाने में मंत्रालय को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
नितिन गडकरी ने बताया कि ठेकेदार बदल गए. बैंकों ने केस कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टे ऑर्डर दे दिया. कभी मौसम तो कभी कानूनी अड़चन से काम काफी प्रभावित हुआ. उन्होंने बताया कि इन सब वजहों से टोल टैक्स पर भी असर पड़ा.
कैसे प्रकाश में आया ज्यादा टोल का मामला?
ये पूरा मामला एक आरटीआई के दाखिल किये जाने के बाद आया था. आरटीआई में पूछा गया था कि राजस्थान में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर मनोहरपुर प्लाजा से करीब 8000 करोड़ रुपये वसूले गए. जबकि इस हाईवे को बनाने में इससे काफी कम 1900 करोड़ का ही खर्च हुआ.
केंद्रीय मंत्री ने इस सवाल के जवाब के साथ ही ये भी बताया कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में कैबिनेट ने 51 सौ करोड़ की 8 सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी है. मार्च तक 3 लाख करोड़ की परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य है.