नई दिल्ली। 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने पश्चिम बंगाल की जिन 37 जातियों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल किया था, अब वह नेशनल कमीशन फॉर बैकवार्ड क्लासेज (NCBC) की जांच के दायरे में आ गई हैं और उनमें से कुछ को लिस्ट से बाहर किया जा सकता है।
एनसीबीसी की ओर से इस तरह की पहल की कवायद कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से 2010 के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से जारी 5 लाख से ज्यादा ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने के फैसले के बाद सामने आ रही है।
हम उन्हें केंद्रीय लिस्ट से भी बाहर करने की सिफारिश करेंगे- एनसीबीसी चेयरमैन
अंग्रेजी अखबार ईटी से एनसीबीसी के चेयरमैन हंसराज अहीर ने कहा, ‘हम इस चीज की जांच के लिए ओबीसी की केंद्रीय सूची की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या केंद्रीय और राज्य सूची में कुछ जातियां समान हैं। अगर हाई कोर्ट के आदेश से उनकी स्थिति प्रभावित हुई है, हम उन्हें केंद्रीय लिस्ट से भी बाहर करने की सिफारिश करेंगे।’
35 मुस्लिम जातियों को दी गई थी ओबीसी सेंट्रल लिस्ट में जगह
अहीर ने कहा है कि 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार ने सेंट्रल ओबीसी लिस्ट में 46 जातियों को शामिल करने की सिफारिश की थी। इनमें से 9 जातियों के प्रस्ताव ठुकरा दिए गए थे। उनके मुताबिक, ‘2014 के फरवरी में, संसदीय चुनाव से ठीक पहले, सरकार ने मुस्लिम समुदाय की 35 जातियों समेत 37 जातियों के शामिल करने की अधिसूचना जारी की। क्योंकि, ये 37 जातियों सिर्फ बंगाल से शामिल की गईं, हम अब लिस्ट की जांच करेंगे।’
अहीर ने कहा है कि अगर कुछ नाम वे होंगे, जिनका ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द किया गया है तो आयोग सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से उन्हें सेंट्रल लिस्ट से हटाने की सिफारिश करेगा।
बंगाल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी आरक्षण का लाभ!
एनसीबीसी पश्चिम बंगाल में आरक्षण नीति लागू करने में विसंगतियों पर प्रश्नचिन्ह उठा चुका है। 2023 के फरवरी में फील्ड विजिट के दौरान एसीबीसी ने पाया था कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी ओबीसी सर्टिफिकेट मिल गए थे और उन्होंने आरक्षण का फायदा भी उठाया था।
बंगाल है या बांग्लादेश!
आयोग ने केंद्रीय ओबीसी सूची में मुस्लिम समुदाय से जुड़े 80 जातियों समेत 87 जातियों को शामिल करने की सिफारिश को भी रोक दिया है। 2023 में इसने राज्य सरकार से अतिरिक्त डेटा जमा करने को कहा था। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश में आयोग के अवलोकन को भी शामिल किया गया है।
एनसीबीसी के चेयरमैन ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल की ओर से मुस्लिम समुदायों की जातियों की जो संख्या जोड़ी जा रही है, वह चौंका देने वाली है। मैंने सुनवाई के दौरान भी देखा है कि यह बंगाल है या बांग्लादेश। इस तरह के काम से वास्तविक योग्य जातियां शामिल नहीं हो पाएंगी।’