नई दिल्ली: इन दिनों प्रयागराज महाकुंभ जारी है और हर दिन उसकी खबरें सुर्खियों में है. दुनियाभर से लोग बड़ी संख्या में संगमनगरी प्रयाग पहुंच रहे हैं और त्रिवेणी पर स्नान का लाभ ले रहे हैं. हालांकि बहुत अधिक भीड़ या कुछ अन्य कारणों से कुछ लोग इस बार प्रयागराज के महाकुंभ में नहीं जा पाए हैं. ऐसे लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है. कुंभ नहाने (Kumbh Me Snan Ka Labh) का मौका दो साल में फिर मिलने वाला है.
वर्ष 2025 का महाकुंभ 26 फरवरी को संपन्न हो जाएगा और इसके बाद अगला कुंभ वर्ष 2027 में नासिक (Kumbh In Nasik) में होगा. इसके पहले यहां 2015 में महाकुंभ का आयोजन किया गया था. महाकुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार प्रयागराज में होता है, जबकि सामान्य कुंभ (Kab Hoga Agla Kumbh) हर 6 साल में हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है. महाकुंभ में स्नान को धार्मिंक रूप से बहुत अहम माना जाता है. माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कब होगा नासिक में महाकुंभ और प्रयागराज नहीं जा पाने वालों को क्या करना चाहिए.
कैसे मिलेगा अमृत स्नान का
अगर किसी कारण से प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में जाना संभव नहीं हो पाया है तो घर में ही कुछ नियमों का पालन कर अमृत स्नान के पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है. घर पर अमृत स्नान का पुण्य कमाने के लिए अपने घर के आसपास बहने वाली किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं. इसके अलावा आप घर में अमृत स्नान के दिन नहाने के पानी में पानी में गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते हैं. इसके लिए पहले पात्र में गंगाजल डालें फिर उसमें पानी मिलाकर स्नान करें. मन में रखें सच्चे श्रद्धा भाव को रखकर घर में किए गए गंगा स्नान से भी संगम स्नान का लाभ प्राप्त हो सकता है.
करें इन मंत्रों का जाप
घर में अमृत स्नान करते समय कुछ मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ साबित हो सकता है. इसके लिए ‘‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति. नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरु” मंत्र का जाप करें. ध्यान रखें घर में अमृत स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है, इसलिए सुबह जल्दी उठें घर में गंगाजल में पानी मिलाकर स्नान कर लें. स्नान करते हुए गंगा मैया का सुमिरन करें और ‘‘हर हर गंगे’ का जप करें.
अगला कुंभ नासिक में
महाकुंभ का संबंध समुद्र मंथन से है. पुराणों में मिलने वाले वर्णन के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश का जल छलककर 12 स्थानों पर गिरा था जिनमें से 4 स्थान धरती पर और 8 स्वर्ग में थे. पृथ्वी पर ये चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं. अमृत कलश से छलकी हुई बूंदें प्रयागराज में गंगा यमुना और सरस्वती नदियों के संगम, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार के गंगा नदी और नासिक के गोदावरी नदीं में गिरी थीं. यही कारण है कि हर 12 साल में इन नदियों के किनारे कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. ज्योतिष गणनाओं के आधार पर कुंभ का आयोजन स्थान तय किया जाता है. ग्रहों की गणना के आधार पर अगला कुंभ नासिक में होगा.