भोपाल: शाम के तकरीबन साढ़े पांच बज रहे थे। मध्यप्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान की तराई में बसे आदिवासी गांव गुमतरा की महिलाएं और पुरुष जंगलों और खेतों से वापस अपने घर लौट रहे थे। तराई लैंड के चलते गांव में हल्की-हल्की ठंड होने लगी थी और सूरज भी ढलने लगा था। लेकिन ढलते सूरज के साथ सियासी तपिश इस गांव में बरकरार थी। अंधेरा हो उससे पहले ही इस इलाके में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव प्रचार करके निकल गए थे। जंगल से लकड़ियां लेकर वापस आ रही देविका हनवत और जानकी डहरवार अपने जानवरों को बांधने के साथ-साथ पूछती हैं…क्या आप भी चुनाव वाले हो…यह बताने पर कि हम दिल्ली से आए हैं और पत्रकार हैं। तो उनमें से एक महिला ने बगल में पड़ी चारपाई पर बैठने का इशारा किया और जानवरों को खाना-पानी देकर जमीन पर बैठ गईं।
कहने लगीं कि उनको चुनाव का तो कुछ नहीं पता, लेकिन यह जानती हैं कि उनके खाते में गांव के ही पटवारी की मदद से सरकार की ओर से दिया जाने वाला पैसा आने लगा है। वह कहती हैं कि उनके घर में चार महिलाएं हैं और पांच हजार रुपये महीने उनके घर में आने लगे हैं। कांग्रेस और भाजपा के बारे में कोई राय न रखने वाली जानकी और देविका जैसी कई महिलाओं ने मध्यप्रदेश में शुरू की गई लाड़ली बहना योजना का खूब जिक्र किया। सियासी जानकार भी मानते हैं कि इस योजना के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश में सियासी तौर पर अपनी मजबूत पकड़ और सत्ता वापसी का दावा ठोका है। जबकि कांग्रेस भी अपने वचनों के आधार पर मध्यप्रदेश के सियासी मैदान में मजबूत पकड़ के साथ आगे बढ़ी है।
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की ओर से शुरू की गई लाड़ली बहना योजना का असर भी खूब नजर आया। पेंच राष्ट्रीय उद्यान की तराई में बसे कई गांव में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। इसी जंगल की तराई में बसे गांव गुमतरा में तकरीबन 700 लोगों की आबादी है। इसमें 80 फ़ीसदी से ज्यादा आदिवासी परिवार रहते हैं। 20 फ़ीसदी में इलाके में वह राजपूत बसे हुए हैं जिनके पूर्वज इसी राष्ट्रीय उद्यान में अंग्रेजों के जमाने में शिकार पर जाते थे। इस गांव की रहने वाली जानकी बताती हैं कि यहां की कई स्थानीय सड़कें तो इतनी खराब हैं कि बारिश के दिनों में आना-जाना मुश्किल हो जाता है। वह कहती हैं अगर गांव में किसी के पास अपना साधन नहीं है तो जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा तक जाने में पूरा दिन लग जाता है। अपने इलाकों में पिछड़ेपन की कहानी बताती हुईं वह कहती हैं कि अभी भी यहां पर बहुत से लोगों को सरकारी घर नहीं मिल पाया है। हालांकि भाजपा सरकार की ओर से मिलने वाली राशि से वह खुश हैं।